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फाइनेंस कंपनी ने 100 साल के बुजुर्ग को पलंग समेत घर से निकाला

मंदसौर में किस्त न चुकाने पर फाइनेंस कंपनी ने पुजारी परिवार को किया बेघर

मंदसौर । मंदसौर में लोन की किस्त न चुका पाने पर एक पुजारी को परिवार समेत उनके घर से बेदखल कर दिया गया। फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी पुलिस के साथ पहुंचे। घर में रखा सारा सामान सडक़ पर रख दिया। कर्मचारियों ने पुजारी के 100 साल के बीमार पिता को भी पलंग सहित उठाकर बाहर रख दिया। इसके बाद घर में ताला लगा दिया।
मामला नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के भील्याखेड़ी गांव में शनिवार का है। इसका वीडियो भी सामने आया है। यहां रहने वाले गोविंददास बैरागी राम मंदिर में पुजारी है। उन्होंने 2015 में मेंटोर फाइनेंस जयपुर से मकान बनाने के लिए 3 लाख का लोन लिया था।
कंपनी के कर्मचारियों ने एक नहीं सुनी
पुजारी ने बताया कि लोन देने के दौरान 20 हजार रुपए बीमा और 50 हजार रुपए अन्य खर्च के काट लिए थे। लोन की खुशी में मैंने सांवलिया जी मंदिर में 10 हजार रुपए दान कर दिए। इसके बाद 70 हजार रुपए की किस्तें भरीं। लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया। इसके बाद मेरे पिता की तबीयत खराब हो गई। तब से वे पलंग पर ही हैं। पत्नी की भी तबीयत खराब होने से उसका ऑपरेशन करवाया। 3 बेटियों का विवाह किया। एक बेटी मेरे पास है, जिसे आंखों से दिखाई नहीं देता है। आर्थिक स्थिति दयनीय होने से मैं किस्तें नहीं भर पाया।
बीमार पिता को पलंग सहित उठाकर बाहर पटका
पुजारी ने बताया कि मैंने और मेरी पत्नी ने फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों व पुलिस से किस्तें जमा करवाने का निवेदन भी किया, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। यहां तक कि मेरे 100 वर्षीय पिता को भी पलंग सहित बाहर निकालकर पटक दिया। मैं मजबूरन खेत पर अपने बड़े भाई के यहां रह रहा हूं। मेरे साथ इस तरह की कार्रवाई कर मुझे अपमानित किया गया है, दोषियों पर कार्रवाई की जाना चाहिए।
भगवान राम के पुजारी को भी रोड पर फेंका
किसान नेता श्यामलाल जोकचंद ने कहा कि फाइनेंस कंपनी ने भगवान राम मंदिर के पुजारी को भी नहीं छोड़ा। जिन्होंने जिंदगी भर भगवान राम जी की पूजा की। जोकचंद ने कहा कि पीडि़त पुजारी ने 3 लाख का लोन लिया था। 70 हजार चुका दिए फिर भी कंपनी 12 लाख और मांग रही है। मंदसौर नीमच क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां फैल गई हैं जो भोले भाले लोगों को फंसाकर छोटा लोन देती हैं, उसमें भी आधे रुपए फाइल चार्ज और अन्य चार्ज के नाम पर रख लेते हैं। फिर किस्त भरने के लिए प्रताडि़त करते हैं।

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