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एमपी हाईकोर्ट में हुई गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य के जुड़े दो मामले में 25 मिनट चली सुनवाई

भोपाल। एमपी हाईकोर्ट में गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य के जुड़े दो मामले में सुनवाई की गई। वहीं अधिकारियो द्वारा अवमानना के मामले में आगे की बहस अगली सुनवाई पर होगी। भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने हाईकोर्ट मे हुई सुनवाई की जानकारी देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट और मध्य प्रदेश उच्च न्यालाय के आदेशों को ना मानने के संबध में अवमानना के मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव की तरफ से अधिवक्ता ब्रायन डी सिल्वा ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि उन्होंने एक याचिका दायर की है। जिसमे वह उच्च न्यायायलय के 28/11/2023 (जिसमे एसीएस स्वास्थ्य मोहमद सुलेमान एवं 2 केंद्र के अधिकारियों कोर्ट के आदेश की अवमानना के लिए दोषी पाया गया) के आदेश पर पुनर्विचार की मांग कर रहे है। उन्होंने बताया कि उनकी इस याचिका पर बहस होने से पहले उन पर कोई सज़ा की कार्यवाही ना की जाए। ऐसी ही याचिका केंद्र के एनआईसी के अधिकारियों के वरिष्ठ अधिवक्ता ने भी दायर की है। न्यायालय इन दोनों याचिकाओ को 19 जनवरी को सुनेगी। रचना ढिंगरा ने आगे बताया कि रिट याचिका डब्ल्यूपी 15658/12 भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन (याचिकाकर्त्ता) और कोर्ट के मित्र अधिवक्ता नमन नागरथ ने न्यायालय को अवगत कराया कि न्यायालय के तमाम आदेश के बावजूद गैस राहत विभाग द्वारा कैंसर ग्रसित गैस पीड़ितों को आज भी एआईआईएमएस भोपाल में मुफ्त इलाज मुहैया नहीं हो रहा है। कैंसर ग्रसित गैस पीड़ित सपना चौरसिया ने न्यायालय में पेश होकर बताया कि पिछले एक साल साल में उन्होंने 3 लाख से ज्यादा अपने कैंसर इलाज में लगा दिए है, और उन्हें गैस राहत विभाग और एम्स भोपाल में किसी भी तरह का मुफ्त इलाज नहीं मिल रहा है। न्यायालय ने ऐसे प्रकरणो को सुलझाने के लिये गैस राहत विभाग और केंद्र सरकार को निर्देशित किया है, और इससे सम्बंधित सभी दस्तावजे अगली सुनवाई 24 जनवरी को पेश करने के लिए कहा है। रचना ढिंगरा ने बताया कि सिर्फ सपना चौरसिया को नहीं बल्कि किसी भी कैंसर ग्रसित गैस पीड़ित का एम्स भोपाल में मुफ्त इलाज नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता (बीजीआईए) ने न्यायालय को बताया की निगरानी समिति की जुलाई 2023 की रिपोर्ट के मद्देनजर गैस राहत अस्पतालों बीएमएचआरसी और शोध शंस्था एनआईआरईएच द्वारा अभी भी सुप्रीम कोर्ट के 2012 के आदेश का पालन नही हुआ। जिसकी वजह से गैस पीड़ितों के इलाज और शोध की स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। अवमानना के अलावा इस स्थिति को बेहतर करने के लिए न्यायालय 24 जनवरी को इसके सुनेगी। 

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