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स्कूल शिक्षा में चॉइस फिलिंग से वंचित किए जाने के विरुद्ध हाई कोर्ट का स्टे

 भोपाल । जनजाति कार्य विभाग में नियुक्त शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग में चॉइस फिलिंग की अनुमति हाई कोर्ट जबलपुर ने प्रदान की। उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना परिणाम घोषित नही किए जाएं।
आदिवासी विकास विभाग में चयनित और नियुक्त शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति एवम चॉइस फिलिंग से वंचित या अपात्र किए जाने के विरूद्ध रामेश्वर डांगी उच्च माध्यमिक शिक्षक एवम 15 अन्य शिक्षकों ने उच्च न्यायालय जबलपुर में स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के विरूद्ध रिट याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को बताया कि दोनो विभागों के भर्ती नियमों एवं अन्य संसोधित भर्ती नियमों एवम चयन प्रक्रिया को शासित करने वाले आदेशों में ऐसा कोई प्रतिबंध नही है कि आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षक , स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति हेतु पात्र नही है। शासन का यह कार्य संविधान के अनुच्छेद 14 एवम 16 उल्लंघन है। आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा के विभागीय आदेशों के पालन में ही चयन प्रक्रिया में शामिल हुए थे।
आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षकों को , स्कूल शिक्षा में नियुक्ति प्राप्त करने हेतु, वैध पात्र होने के उपरांत भी, स्कूल शिक्षा में नियुक्ति हेतु अपात्र करना , एक कृत्रिम वर्ग का निर्माण करना है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो कृत्रिम वर्गीकरण को निषिद्ध करता है।
 मेरिट सूची में उच्च स्थान प्राप्ति के बाद, ऐसा कोई नियम नहीं है, जिससे आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा में नियुक्ति से वंचित किए जा सकें।  
 सुनवाई के बाद, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने शासन से जवाब तलब करते हुए, रामेश्वर डांगी एवम अन्य को चॉइस फिलिंग में भाग दिए जाने का अंतरिम आदेश पारित किया है। साथ ही यह आदेश दिया है की कोर्ट की अनुमति के बिना परिणाम घोषित नही किए जावे। कोर्ट का आदेश सिर्फ याचिका कर्ताओं के लिए है।

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