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एआईआईए के छठे स्थापना दिवस पर एचईटी साथ के ऐतिहासिक साझेदारी

केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आयुर्वेदिक अनुसंधान में क्रांति लाने में साझेदारी की सराहना की


नई दिल्ली । हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट (एचईटी) ने आज नई दिल्ली में एआईआईए परिसर में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के साथ एक ही दिन में दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करके एक और मील का पत्थर स्थापित किया। एमओयू पर हस्ताक्षर समारोह एआईआईए के छठे स्थापना वर्ष के साथ ही हुआ। एक समझौता ज्ञापन का उद्देश्य समग्र कल्याण और आयुर्वेद है जबकि दूसरा समझौता ज्ञापन नमक पर अनुसंधान के लिए है। दोनों समझौता ज्ञापनों का उद्देश्य मानव जाति के लाभ के लिए दोनों संस्थाओं के बीच सूचना, ज्ञान और संसाधनों को साझा करना है। एमओयू हस्ताक्षर समारोह के मुख्य अतिथि माननीय केंद्रीय आयुष मंत्री – श्री सर्बानंद सोनोवाल जी थे। अन्य प्रमुख गणमान्य व्यक्ति थे माननीय आयुष राज्य मंत्री – श्री महेंद्रभाई मुंजापारा जी, माननीय राज्य मंत्री (एमओएचओयूए) – श्री कौशल किशोर जी, श्री देवेंद्र त्रिगुणा जी – पद्म भूषण वैद्य; वैद्य श्री राजेश कोटेचा जी – सचिव आयुष; बीके सिंह – संयुक्त सचिव आयुष; श्री जयदीप मिश्रा एएस और एफए; और श्रीमती तनुजा नेसारी, निदेशक एआईआईए एवं हार्टफुलनेस के आध्यात्मिक मार्गदर्शक, श्री राम चंद्र मिशन के अध्यक्ष और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित श्रद्धेय दाजी। आयुर्वेद और समग्र कल्याण पर अनुसंधान पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट की ओर से एचईटी का प्रतिनिधित्व डॉ. निवेदिता श्रेयांस – निदेशक युवा कार्यक्रम और वी श्रीनिवासन – क्षेत्रीय सुविधाकर्ता, दिल्ली द्वारा किया गया था। कमोडोर कमलेश कुमार – अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, हिंदुस्तान साल्ट्स लिमिटेड, एक केंद्रीय सरकार सार्वजनिक उपक्रम और सुश्री एकता बौडरलिक, हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट का प्रतिनिधित्व करते हुए नमक अनुसंधान पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए उपस्थित थे।
एआईआईए और हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट (एचईटी) के बीच हस्ताक्षरित पहले एमओयू के तहत एचईटी द्वारा विकसित “हार्टफुल कैंपस” की छत्रछाया में सामूहिक रूप से ‘एचईटी पाठ्यक्रम और कार्यक्रम’ कहे जाने वाले कार्यक्रम अब सभी एआईआईए अनुमोदित और संबद्ध कॉलेजों/संस्थानों/विश्वविद्यालयों में निम्न रूपों में प्रस्तुत किए जाएँगे। क) वैकल्पिक क्रेडिट-आधारित पाठ्यक्रम और/या मॉड्यूल; ख) छात्रों के समग्र विकास के लिए बुनियादी खुले वैकल्पिक पाठ्यक्रम या स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए प्रेरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, ग) छात्रों के लिए इंटर्नशिप के अवसर, घ) अनुसंधान फ़ेलोशिप, च) कल्याण संसाधनों और तकनीकों की पेशकश के लिए हार्टफुलनेस केंद्रों की स्थापना और छ) संकाय सदस्यों और वरिष्ठ नेताओं, परामर्शदाताओं एवं कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम।
दूसरा हस्ताक्षरित एमओयू नमक पर अनुसंधान के लिए है। एआईआईए का सांभर नमक दुनिया का एकमात्र नमक है जिसका पीएच मान प्राकृतिक रूप से 9.00 से 10.00 के बीच और इसमें प्राकृतिक रूप से आयोडीन शामिल है। यह विशिष्ट चिकित्सीय गुणों के साथ ‘एंटी-एसिडिक’ है, कई न्यूरोलॉजिकल लाभ प्रदान करता है, हृदय के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, साथ ही प्रतिरक्षा मजबूत करने, अम्लता को नियंत्रित करने, वजन कम करने, चयापचय में सुधार करने और पाचन में सहायता करने में मदद करता है। नमक अनुसंधान पर एचईटी और एआईआईए के बीच समझौता ज्ञापन दोनों संस्थाओं को प्रयोग करने, परीक्षण करने और इन लाभों को मान्य करने, प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में नमक के आयुर्वेदिक महत्व की रिपोर्ट प्रकाशित करने और उपयोगकर्ताओं और रोगियों के लिए दिन-प्रतिदिन भोजन बनाने के लिए इस नमक की सिफारिश करने में सक्षम करेगा। इस नमक को आयुष प्रमाणन भी मिलने की तैयारी है।
एमओयू हस्ताक्षर समारोह में कोविड डायरीज़ पर वैज्ञानिक प्रकाशन और अन्य प्रकाशन भी जारी किए गए| एआईआईए द्वारा हासिल किए गए मील के पत्थरों को मान्यता मिली, जैसे एआईआईए को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) द्वारा उच्चतम ए++ मान्यता रेटिंग (3.75 सीजीए प्राप्त) से सम्मानित किया गया, अनुसंधान प्रयोगशालाओं का शुभारंभ, स्किल लैब्स दक्ष्य (उत्कृष्टता केंद्र), हिंदी वेबसाइट, पांडुलिपि विज्ञान अनुसंधान प्रयोगशाला के साथ आणविक जीवविज्ञान प्रयोगशाला, एआईआईए, नई दिल्ली के मुख्य सभागार का उद्घाटन, जिसका नाम पद्म विभूषण वैद्य बृहस्पति देव त्रिगुणा जी रखा जाएगा, साथ ही उनकी प्रतिमा का अनावरण भी किया जाएगा।
इस अवसर पर बोलते हुए माननीय केंद्रीय आयुष मंत्री – श्री सर्बानंद सोनोवाल जी ने कहा, “हमारे प्राचीन ज्ञान और विज्ञान अब वैज्ञानिक रूप से समर्थित हैं और पश्चिमी दुनिया भी उन्हें अपना रही है। आयुर्वेद तो इसका एक पहलू मात्र है। आयुर्वेद में इसकी वैधता को मजबूत करने के लिए पर्याप्त शोध हो रहे हैं। एआईआईए के सहयोग से इस दिशा में हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट का योगदान सराहनीय है और हमें उम्मीद है कि वे आयुर्वेदिक चिकित्सा में क्रांति लाएँगे। इसका एक उदाहरण एआईआईए का नमक है, जिससे नमक की खपत में व्यापक बदलाव आने और स्वास्थ्य लाभ मिलने की संभावना है।”
हार्टफुलनेस के आध्यात्मिक मार्गदर्शक श्री राम चंद्र मिशन के अध्यक्ष और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित श्रद्धेय दाजी ने कहा, “मैं एचईटी और एआईआईए के बीच इस साझेदारी से बहुत खुश हूँ क्योंकि इसमें आयुर्वेद में और विकास हासिल करने के लिए आपसी ज्ञान हस्तांतरण और संसाधनों को साझा करना शामिल होगा।” . मानव जीवन का उद्देश्य चेतना के उच्चतम स्तर तक पहुँचना है जिसे स्वस्थ शरीर और दिमाग के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए शरीर, मन और आत्मा के एकीकृत समग्र कल्याण तक पहुँचने से पहले शारीरिक स्वास्थ्य आवश्यक है। हमें उम्मीद है कि यह सहयोग सभी के लिए इसे हासिल करने के मार्ग खोलेगा।’

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