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ज्वालामुखी विस्फोट से लावा निकलेगा तो धरती कैसे ठंडी होगी

वैज्ञानिकों ने समझाया, कैसे होगा धरती का तापमान कम

वाशिंगटन । वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बहुत ही ताकतवर ज्‍वालामुखी फटता है और लावा निकलता है तो धरती का तापमान कम होता है। वैज्ञानिकों की इस बात से सवाल उठना लाजिमी है कि अगर ज्‍वालामुखी विस्‍फोट में धधकता हुआ लावा निकलेगा तो धरती ठंडी कैसे होगी? जबकि, अमूमन यही देखा गया है कि ज्‍वालामुखी के फटने पर आसपास का तापमान अचानक बहुत ज्‍यादा बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं का दावा है कि जब दुनिया के सबसे ताकतवर ज्वालामुखी फटते हैं तो धरती का तापमान बढ़ने के बजाय कम हो जाता है। ज्वालामुखी में होने वाले धमाके वैज्ञानिकों को धरती के इतिहास में हुए कूलिंग पीरियड को समझाने में भी मदद करते हैं। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ग्लोबल क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट के मुताबिक, हर कुछ दशक में सबसे ताकतवर ज्वालामुखी विस्फोट में बड़ी मात्रा कण और गैस निकलती हैं। ये सूरज की रोशनी को सीधे धरती तक आने में रुकावट पैदा करते हैं। यही रुकावट ग्लोबल कूलिंग पीरियड के हालात तैयार करती है। जब दुनिया के सबसे शक्तिशाली ज्‍वालामुखियों में विस्‍फोट होता है तो ठंड का दौर 1 से 2 साल तक चलता है। ये इतना प्रभावी होता है कि पूरी दुनिया में इसका असर महसूस होता है। कुछ शोध का दावा है कि कभी-कभी ग्लोबल कूलिंग इतनी ज्यादा हो जाती है कि खतरा पैदा कर देती है।
नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज और न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के नए शोध में पिछले अध्‍ययनों कर रिपोर्ट्स में किए गए ऐसे दावे की जांच की गई है। अब तक शोधकर्ता सबसे शक्तिशाली ज्वालामुखी धमाकों के असर का सटीक अनुमान नहीं लगा पाए हैं। हालांकि, पूर्व में किए गए अध्‍ययन अनुमान लगाते हैं कि इससे धरती 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तक ठंडी हो जाती है। इसे वोल्केनिक विंटर भी कहा जाता है। नए अध्‍ययन में वोल्केनिक विंटर की आशंका बेहद कम आंकी गई है। एक ताजा रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने 74,000 साल पहले सुमात्रा के टोबा ज्वालामुखी विस्‍फोट जैसे जबरदस्‍त धमाके को कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिये समझाने की कोशिश की है। इसमें पाया गया कि सबसे शक्तिशाली विस्फोट के बाद धरती के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की कमी नहीं आएगी।
वैज्ञानिक ज्‍वालामुखी विस्फोटों को उनके छोड़े जाने वाले मैग्मा के आधार पर बांटते हैं। इसके मुताबिक, जब कोई ज्वालामुखी 1,000 क्यूबिक किलोमीटर से ज्यादा मैग्मा छोड़ता है तो उसे सुपर विस्फोट कहते हैं। ये विस्फोट बेहद शक्तिशाली होने के साथ-साथ दुर्लभ होते हैं। सबसे हालिया सुपर-विस्फोट 22,000 साल से भी पहले न्यूजीलैंड में हुआ था। करीब 20 साल पहले व्योमिंग में भी सुपर विस्फोट हुआ था। बता दें कि ज्‍वालामुखी विस्‍फोट में कार्बन डाइऑक्‍साइड जैसी ग्रीनहाउस गैस भी निकलती है। ज्‍यादातर लोग जानते होंगे कि ग्रीनहाउस गैसें धरती का तापमान बढ़ाती हैं। इसीलिए दुनिया के सभी देश ग्रीनहाउस गैस उत्‍सर्जन की रोकथाम की दिशा में काम कर रहे हैं।

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