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चैक बाउंस मामले में ब्याज सहित राशि वापस और 6 माह की सजा

तृतीय अतिरिक्त सेसन न्यायाधीश आरती ए शुक्ला की अदालत में सुनाया फैसला….

– फरियादी अरविंद उपाध्याय ने मा. न्यायालय के आदेश की मीडिया को दी जानकारी….
नर्मदापुरम । नर्मदापुरम निवासी अरविन्द उपाध्याय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अवगत कराया की वर्ष 2009 में धुवनारायण (गुहा) रिछारिया आ. स्व. श्री रघुवर प्रसाद रिछारिया, ईडब्लूएस, 26 हनुमान मंदिर के पास, नर्मदापुरम ने एक लाख रूपये उधार लिये थे। जिन्हें लौटाने (वापस) करने के लिये धुवनारायण रिछारिया ने अपने खाते का चैक क्रमांक 2132286 दिया था। जिसे उपाध्याय द्वारा भुगतान हेतु बैंक में प्रस्तुत करने पर बैंक बाऊंस हो गया था। जिसके उपरांत अरविंद उपाध्याय ने अपने अधिवक्ता दीपक तिवारी एवं धमेन्द्र दुबे के द्वारा माननीय न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया। जिसमें विगत 15 वर्षों से अभियुक्त धुवनारायण रिछारिया व उसके भाई अनिल रिछारिया द्वारा फर्जी व कूट रचित दस्तावेज पेश किये व मिथ्या कथन किये,जिसे सक्षम न्यायालय ने असत्य व झूठा पाया गया। जिसके बाद अभियुक्त ध्रुवनारायण रिछारिया के विरूप निर्णय दिनांक 12/03/2024 को माननीय तृतीय अतिरिक्त सेसंन न्यायाधीश आरती ए शुक्ला द्वारा अभियुक्त को अर्थदण्ड व्याज सहित एक लाख बीस हजार रूपये वापस करने तथा छः माह के सश्रम कारावास से दडिंत किया गया है। फरियादी अरविंद उपाध्याय के अधिवक्ता दीपक तिवारी द्वारा बताया गया है कि उक्त प्रकरण में कई महत्वपूर्ण तथ्य आये है, जिसमे से एक तथ्य यह भी था कि अभियुक्त ने देश की बडी फायनेंस कपंनी के कम्प्यूटर से कुछ फर्जी दस्तावेज व नकली पावती बना कर स्वंय ने नकली हस्ताक्षर कर प्रकरण में पेश कर एक झूठी कहानी भी गढ़ी थी। जिसे माननीय न्यायालय व अन्य स्थानो पर असत्य पाया गया तथा उक्त फर्जी दस्तावेजो से अभियुक्त का बचाव भी नहीं हुआ। यहाँ न्यायालय के प्रकरण व पुलिस जॉच मे यह तथ्य भी सामने आये कि अभियुक्त धुबनारायण रिछारिया के अतिरिक्त इस रिछारिया परिवार पर कई चैक बाउंस के प्रकरण दर्ज हो चुके है। ध्रुवनारायण के एक भाई सुनील रिछारिया पर चैक बाऊंस का आपराधिक प्रकरण क्रमांक 164/05 एवं ध्रुवनारायण के भाई रिटायर्ड शिक्षक अनिल कुमार रिछारिया की पत्नि स्नेहलता रिछारिया पर आपराधिक प्रकरण क्रमांक 163/05 इसी प्रकार रिटायर्ड शिक्षक अनिल रिछारिया पर चैक बाऊंस का आपराधिक प्रकरण क्रमांक 492/06 चल चुका है। जिसमे चैक बाऊंस के प्रकरणों में कारावास एवं 18 प्रतिशत ब्याज राशि वापिस करने के आदेश पारित हुये थे। धुवनारायण रिछारिया का परिवार चैक बाऊंस के व अन्य आपराधिक प्रकरणों में संलिप्त रहा है।

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