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भारतीय सैन्य शक्ति हो रही सुदृढ़, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल रहा दूसरा परीक्षण

नई दिल्ली । सैन्य शक्ति का विस्तार कर रहे भारत को एक और बड़ी सफलता मिली है। भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने मंगलवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का दूसरा सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल के सफल परीक्षण से भारतीय सेना के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। साथ ही दुश्मनों के लिए भारत और अधिक मजबूत हो गया है। इस परीक्षण के लिए टारगेट एक अन्य द्वीप पर रखा गया था जिसको मिसाइल ने सफलतापूर्वक निशाना बनाया।
रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि मंगलवार को अंडमान निकोबार द्वीप समूह से भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल के सफल परीक्षण से अब भारतीय सेना के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। भारत के लगातार सफल परीक्षण किए जाने से विरोधियों मुश्किलें बढ़ती जा रही है। दुनिया की सबसे तेज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के भूमि हमले संस्करण का पहला परीक्षण 24 नवम्बर, 2020 को भारतीय सेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से ही किया था।
दो वर्ष पहले हुआ पहला परीक्षण
दुनिया की सबसे तेज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का पहला परीक्षण भारतीय सेना ने दो वर्ष पहले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से ही किया था। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के लैंड अटैक वर्जन का पहला सफल परीक्षण 24 नवंबर 2020 को किया गया था। इस सफल परीक्षण के बाद ही ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार हो गया था। मिसाइल का परीक्षण भारतीय सेना द्वारा किया गया जिसमें डीआरडीओ द्वारा बनाए गए मिसाइल सिस्टम शामिल था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम अपनी श्रेणी में पूरी दुनिया का सबसे तेज ऑपरेशनल सिस्टम है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण करके भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है।
आवाज की रफ्तार से तिगुना है गति
यह 2.8 मैक की रफ्तार यानी आवाज की रफ्तार का लगभग तीन गुना गति से उड़ती है। इसी तरह ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस कुछ सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब एयरबेस में तैनात हैं। भारत और रूस द्वारा विकसित की गई ब्रह्मोस अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है। ब्रह्मोस लैंड-अटैक मिसाइल को चीन के खिलाफ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया गया है। ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस कुछ लड़ाकू विमान भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब तैनात हैं।
आगे की योजना?
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का दूसरा सफल परीक्षण के साथ ही मिसाइल की दुनिया में भारत का कद और भी बढ़ गया है। इसके साथ ही मिसाइल के एक और हाइपरसोनिक वर्जन ‘ब्रह्मोस-II’ भी पर काम चल रहा है, जिसके 2024 में परीक्षण के लिए तैयार होने की उम्मीद है। वर्ष 2016 में भारत MTCR यानि मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम का सदस्य बन गया था। इस सदस्यता के साथ ही भारत अधिक दूरी की मिसाइल टेक्नोलॉजी का विकास करने के लिए एलिजिबल हो गया था। इसके बाद भारत और रूस मिलकर 800 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइलों की एक नई पीढ़ी विकसित करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
भारत के पास इन मिसाइलों का जखीरा
भारत अपने रक्षा क्षेत्र को विस्तार देने की लगातार कवायद कर रहा है। इसके अंतर्गत आने वाले भारत के मिसाइल रक्षा कार्यक्रम के तहत मिसाइलों का एक बड़ा जखीरा मौजूद है। भारत के पास ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल के अलावा ‘प्रहार’ और ‘निर्भय क्रूज मिसाइल’, ‘पृथ्वी शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल’ के तीन वर्जन, मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल में ‘अग्नि 1’ और ‘शौर्य’, इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल में ‘अग्नि 2, 3 और 4’, इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल कैटेगरी में ‘अग्नि-5’, देश के पास मौजूद है। इसके साथ ही पानी से समुद्र की सतह पर मार करने वाली मिसाइल ‘धनुष’, शॉर्ट रेंज मिसाइल ‘आकाश’, मीडियम रेंज मिसाइल ‘त्रिशूल’, दृश्य सीमा से परे रेंज वाली मिसाइल ‘अस्त्र’ और सतह से सतह और हवा में टारगेट भेदने वाली मिसाइल ‘नाग’ भारत के पास है।

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