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Karnataka election news : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अमूल ओर अडानी को लेकर सियासत

  Bengluru:  कर्नाटक के सोशल मीडिया में कन्नड़ भाषा में एक नई मुहिम शुरू हुई है। जिसमेंसोशल मीडिया पर, बायकाट अमूल, गो बैक अमूल,सेव नंदिनी हेशटैग ट्रेंड करने लगा है। उससे चुनाव के पहले ही भाजपा की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कर्नाटक के दौरे पर आए थे। वह केंद्रीय सहकारिता मंत्री भी हैं। उन्होंने कर्नाटक में बयान दिया था, कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का अमूल में विलय कर दिया जाएगा। उनके इस बयान के बाद कर्नाटक में कर्नाटक मिल्क फेडरेशन और उसके ब्रांडेड नंदिनी को बचाने के लिए प्रदेश भर में एक बड़ा अभियान शुरू हो गया है। इसको, गुजरात और दक्षिण की लड़ाई के रूप में भी प्रचारित किया जाने लगा है। कांग्रेस भी इस अभियान को हवा दे रही है। अडानी समूह को कर्नाटक के कई प्रोजेक्ट, हवाई अड्डा, पोर्ट एवं अन्य प्रोजेक्ट पर अडानी समूह और गुजराती कंपनियों का एकाधिकार हुआ है। इसको गुजराती मूल के लोगों द्वारा कर्नाटक को लूटने से भी जोड़ा जाने लगा है। कन्नड़ और हिंदी भाषा भी इसमें महत्वपूर्ण रोल अदा कर रही है। कन्नड़ भाषा में उत्पाद के नाम हिंदी भाषा में लिखने का जो दबाव बनाया गया है। उसका कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में भारी असर देखने को मिलने लगा है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है अडानी, अमूल, नरेंद्र मोदी और अमित शाह,कर्नाटक में चारों गुजरात ब्रांड के रूप में प्रचारित हो रहे हैं। कर्नाटक की संपदा और कर्नाटक के बिजनेस पर एकाधिकार करने जैसी बातों को लेकर कर्नाटक में राजनीतिक ध्रुवीकरण शुरूहो गया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर बार-बार भारतीय जनता पार्टी को घेरने का काम कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि कर्नाटक को इस तरीके से प्रचारित किया जा रहा है,कि जैसे कर्नाटक के लोग गुजरात के दुश्मन हैं। जबकि इसका ठीक उल्टा हो रहा है। गुजरात के लोग कर्नाटक को सुनियोजित रूप से लूट रहे हैं। बहरहाल कर्नाटक में जिस तरह से सोशल मीडिया पर कन्नड़ भाषा में घर घर पहुंचने वाले दूध और दूध से बने उत्पाद को लेकर जो नई राजनीति शुरू हुई है। इसका आने वाले विधानसभा के चुनाव में व्यापक असर होगा।

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