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कुष्ठ उन्मूलन पखवाड़ा का हुआ शुभारंभ – 13 फरवरी तक चलेगा

भोपाल। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कुष्ठ पखवाड़ा का आयोजन 30 जनवरी से 13 फरवरी की अवधि में किया जा रहा है। पखवाड़े का सोमवार को शुभारंभ स्वरक्षा सेवा सरोकार शिविर से किया गया। सिविल अस्पताल बैरागढ़ में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में कुष्ठ रोग से शरीर में होने वाली विकृतियों से बचाव के लिए जल-तेल उपचार प्रदान किया गया। कार्यक्रम में अल्सर या जख्म के लिए मरीजों को स्व देखभाल किट प्रदान की गई। कुष्ठ रोग से ठीक हो चुके लोगों द्वारा अपने अनुभव साझा किये गए।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि कुष्ठ रोग एक संक्रामक रोग है जो कि बैसिलस माइक्रो बैक्टेरियम लेप्री (एम लेप्री) के कारण होता है। कुष्ठ रोग से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके श्वसन तंत्र से निकलने वाले पानी की बूंदों में उपस्थित लेने बैक्टिरिया, हवा के साथ मिलकर दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है। यह बैक्टिरिया बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। संक्रमण होने के लगभग 5 वर्षों बाद रोग के लक्षण दिखाई देते हैं। यह मुख्य रूप से मानव त्वचा, उपरी श्वसन मार्ग की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य जगहों को प्रभावित करता है।
डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया संक्रमण होने के पश्चात् त्वचा के चकत्तों या धब्बों में संवेदना की कमी या समाप्ति हो जाती है। सांवली चमड़ी वाले लोगों में त्वचा पर हल्के धब्बे जबकि गोरी चमड़ी वालों में गहरे या लाल रंग के धब्बे हो सकते हैं। हाथ या पैरों में सुन्नता या झुनझुनी, पलकों की कमज़ोरी, प्रभावित नसों में सूजन एवं दर्द, कान के नीचे के मुलायम भाग में सूजन, दर्द रहित घाव या हाथ-पैरों में जलन कुष्ठ के प्रमुख लक्षण हैं।
जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ. रितेश रावत ने बताया कि कुष्ठ रोग पूरी तरह से उपचार योग्य है। एम. डी.टी. या बहु औषधि उपचार का नियमित सेवन विकृतियों से बचाता है तथा अन्य व्यक्तियों में संचरण को रोकता है। रोग की शीघ्र पहचान और दवाओं का पूरा कोर्स कुष्ठ रोग से होने वाली विकलांगता से बचाता है। छूने, साथ खेलने या एक साथ काम करने से यह रोग नहीं फैलता है, लेकिन अनुपचारित रोगियों के साथ नजदीकी और लगातार संपर्क से रोग का संचरण बढ़ सकता है । ऐसे मरीज़ जिनके पैरों में सेंसेशन लॉस हो गया है, उन्हें पखवाड़े के दौरान एम.सी.आर. पादुकाओं का वितरण किया जाएगा एवं फिजियोथेरेपी की सुविधा भी प्रदान की जाएगी । कुष्ठ पखवाड़े के दौरान स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले द्वारा घरों का सर्वे एवं कुष्ठ रोगियों के परिजनों का स्वास्थ्य परीक्षण कर एक्टिव केस खोजने का कार्य किया जाएगा।

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