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पेंशन नहीं तो वोट नहीं के नारों के साथ सम्पूर्ण प्रदेश में विधायकों को सौंपा ज्ञापन
भोपाल । जैसे-जैसे चुनाव का समय करीब आते जा रहा है, वैसे-वैसे पुरानी पेंशन बहाली के लिए कर्मचारियों का आन्दोलन तीव्र होते जा रहा है। देखा जाए तो पुरानी पेंशन की लड़ाई प्रदेश में जन आंदोलन का रूप लेती जा रही है। एनएमओपीएस के आह्वान पर चार संभागीय महाकुंभ के बाद भोपाल में जबरदस्त एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर प्रदेश के कर्मचारियों ने इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति को स्पष्ट कर दिया है। कर्मचारियों के पेंशन पुरुष कहे जाने वाले एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु के आह्वान पर मध्यप्रदेश के कर्मचारियों ने 19 फरवरी को क्षेत्रीय विधायकों का घेराव कर ज्ञापन सौंपा। जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी हीरानंद नरवरिया ने बताया की एनएमओपीएस प्रदेश अध्यक्ष परमानंद देहरीया के नेतृव ने समस्त मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली का ज्ञापन सौंपा।
बड़े सौहार्दपूर्ण वातावरण में कर्मचारियों ने विधायको को पेंशन को लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त की।
श्री नरवरिया ने बताया गया कि शिक्षक विनीत नामदेव को सेवानिवृत्त होने पर 1800 रूपए की पेंशन मिल रही है, जिसमें ताउम्र एक रूपए की बढ़ोत्तरी नहीं होगी। उनकी बीस साल की सेवा अवधि की गणना ना होने से उन्हें ग्रेच्युटी में एक रुपए भी नहीं मिले, जिसके वे हकदार है अधिकांश विधायकों ने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग का समर्थन किया विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री से मिलकर कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली पर चर्चा जरूर करेंगे और कोशिश करेंगे की कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुख्यमंत्री के साथ बैठक रखवाकर आमने-सामने बैठाकर इसका समाधान निकाला जाए।
पूरे प्रदेश चले इस घेराव संवाद कार्यक्रम में कर्मचारियों ने स्पष्ट कर दिया कि इस बार सभी कर्मचारी सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन के लिए वोट ही करेंगे, साथ ही उनके परिवार, रिस्तेदार और अन्य को भी पुरानी पेंशन देने वाले दल को वोट करने के लिए प्रेरित करेंगे। । कर्मचारियों ने “पेंशन नहीं तो वोट नहीं” कर्मचारी उपस्थित रहे।