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मणिपुर में उग्रवादी गुट कर रहे उगाही

अवैध नाकों से परेशान टैंकर संचालक हड़ताल पर उतरे

इंफाल । मणिपुर में हिंसा 3 मई यानी 167 दिन से जारी है। अब हालात ये हैं कि राज्य के 90 प्रतिशत पेट्रोल पंप खाली हो चुके हैं। रसोई गैस का स्टॉक भी लगभग खत्म है। इसकी वजह है- पेट्रोल, डीजल व एलपीजी पंप चालकों की हड़ताल। पूरे राज्य में टैंकर नहीं चल रहे हैं।
दरअसल, राज्य के हाईवे पर उग्रवादी संगठनों ने अपने नाके लगा लिए हैं। इन नाकों पर हर टैंकर से 5 से 15 हजार रुपए तक की वसूली की जा रही है। पैसा नहीं देने पर टैंकर जलाने और जान से मारने की धमकी दी जा रही है। पेट्रोल पंप संचालकों ने पिछले हफ्ते यह मुद्दा सरकार के सामने उठाया था। राज्य के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने भरोसा दिया था कि टैंकर पुलिस सुरक्षा में चलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। टैंकर संचालक हड़ताल पर चले गए। अभी हालात यह हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 37 पर दर्जनों टैंकर खड़े हैं। चालक उन्हें छोडक़र चले गए हैं। कुछ रिपोट्र्स में दावा किया जा रहा है कि हड़ताल के बावजूद कई ब्लैक मार्केट में पेट्रोल करीब 150 रुपए लीटर मिल रहा है।
पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें
मणिपुर में पेट्रोल-डीजल का स्टॉक लगभग शून्य होने वाला है। इसलिए कई पेट्रोल पंप संचालक राशनिंग भी कर रहे हैं। पेट्रोल पंपों में 200 मीटर लंबी लाइनें लगी हैं। सरकारी गाडिय़ों के लिए भी न्यूनतम स्टॉक ही बचा है। अगले एक-दो दिन में ये भी खत्म हो जाएगा। हालात न बिगड़े, इसलिए डीलरों ने केंद्र और राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। गोविंद नाम के टैंकर चालक के मुताबिक- ‘हम पर 9 अक्टूबर को इंफाल-जिरीबाम रोड पर हमला हुआ। उग्रवादियों ने पहले शुल्क के नाम पर हजारों रुपए लिए। पैसे देने के बावजूद मारपीट की, फिर टैंकरों पर गोलियां चलाईं।
मणिपुर में अब तक 180 की मौत, 1100 घायल
मणिपुर में पिछले 4 महीने से चल रही जातीय हिंसा में अब तक 180 लोग मारे गए हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इतना ही नहीं 5172 आगजनी के केस सामने आए, जिनमें 4786 घरों और 386 धार्मिक स्थलों को जलाने और तोडफ़ोड़ करने की घटनाएं शामिल हैं।

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