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प्रभार के इंतजार में जिलों को दौरा नहीं कर रहे मंत्री
आधे से ज्यादा मंत्री राजधानी में बंगले की तलाश में
भोपाल । मप्र सरकार के मंत्री भारी तकलीफ में दिखाई दे रहे हैं। ज्यादातर मंत्रियों को अभी तक न तो पर्याप्त स्टाफ मिला है और न ही उन्हें जिलों का प्रभार सौंपा गया है। जबकि आधे से ज्यादा मंत्री राजधानी में बंगले की तलाश में है। साथ ही मंत्रियों को अभी जिलों का प्रभार भी नहीं मिला है। मंत्री स्टाफ में कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन विभाग के अधिकारियों में मंत्रियों की नोटशीट पर ध्यान ही नहीं दिया है। अधिकृत पर स्टाफ नहीं होने से मंत्री सिर्फ काम चला रहे हैं।
मोहन यादव मंत्रिमंडल के 28 मंत्रियों ने पिछले महीने 25 दिसंबर को शपथ ली थी। इसके 6 दिन बाद उन्हें 31 दिसंबर को ही विभागों का बंटवारा किया गया। इसके बाद से मंत्रियों को स्टाफ नहीं मिला है। जबकि शपथ लेने के बाद से ही मंत्रियों ने स्टाफ में निज सचिव, सहायक सचिव एवं अन्य के लिए नोटशीट सामान्य प्रशासन विभाग एवं मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी थी। कुछ मंत्रियों को ओएसडी एवं विशेष सहायक मिल चुके हैं, लेकिन उन्हें निज सचिव और सहायक सचिव अभी भी नहीं मिले हैं। कुछ मंत्रियों को विशेष सहायक और ओएसडी भी नहीं मिले हैं।
सिर्फ उपमुख्यमंत्रियों को मिला पर्याप्त स्टाफ
अभी सिर्फ दोनों उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा को स्टाफ मिला है। 13 दिसंबर को शपथ के बाद दोनों उपमुख्यमंत्रियों के पिछले कार्यकाल के स्टाफ के ही नए सिरे से आदेश हो गए थे। हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय में भी अभी पर्याप्त अधिकारियों की पदस्थापना नहीं हुई है। स्टाफ नहीं मिलने से मंत्री सिर्फ काम चला रहे हैं। ज्यादातर के साथ वही कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनकी उन्होंने नोटशीट सरकार को भेजी है। जबकि कुछ मंत्री करीबी लोगों से काम चला रहे हैं। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों की स्टाफ में नियुक्ति मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन के इंतजार में रुकी है।