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खेत में काम कर रही थी मां, पहली बार वर्दी में पहुंचा IPS

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में एक आईपीएस सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियों में हैं। कभी रात के अंधेरे में बेसहारा लोगों के पास पहुंचते हैं और उनकी मदद करते हुए दिखाई देते हैं। कभी लोगों के बीच जाकर संविधान का सही अर्थ समझाते हैं।  जिले में आईपीएस का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें आईपीएस संतोष पटेल पहली बार वर्दी पहनकर अपने गांव पहुंचे और खेत में घास काट रही अपनी मां के सामने गए। इस वीडियो में मां और बेटे के बीच हो रही बातों को सुनकर आप भी तारीफ कर उठेंगे।

बता दें, ग्वालियर में पदस्थ डीएसपी संतोष पटेल ने अपनी फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट की है। इस वीडियो में वह पहली बार वर्दी में अपने गांव पहुंचे और मां से मुलाकात की। जब गांव में पहली बार पहुंचे तो उस दौरान उनकी मां खेत में जानवरों के लिए चारा काट रही थीं। आईपीएस संतोष पटेल मां के पास पहुंचे और उनकी ही देसी अंदाज में बातचीत करने लगे। आईपीएस संतोष पटेल ने मां से पूछा, यह सब क्यों कर रही हैं और किस बात की कमी है। मां ने सरल अंदाज में कहा, हमारी ममता नहीं मानती, अपनी वेतन के लिए दो रुपैया चाहत ही। मतलब मां के लिए बेटा कुछ भी बन जाए, लेकिन मां हमेशा अपने बेटों के लिए कुछ न कुछ जरूर सोचकर रखती है।
उसके बाद वीडियो में जब मां-बेटे से बातचीत हो रही है तो आईपीएस संतोष पटेल अपनी मां से कहते हैं कि पैसे से दूध खरीद लो, तो मां कहती है कि मैं तेरे घर पर बैठ कर क्या करूंगी, उसके बाद डीएसपी संतोष पटेल कहते हैं, तुम अब चलो और ग्वालियर रहो तो फिर मां कहती हैं कि यहां सब कौन देखेगा। कुछ पैसे कमा लेती हूं, मेरा बेटा अब पुलिस वाला हो गया है। उसके बाद जब आईपीएस संतोष पटेल अपनी मां से पूछते हैं कि तुम कितना कमा लेती हो तो वह अपने बेटे को कमाई का हिसाब देती हैं और कहती हैं कि इतना कमा लेती हूं।
आईपीएस संतोष पटेल ने अपनी अलग अंदाज में मां से बातचीत का वीडियो फेसबुक पर शेयर किया है। उन्होंने लिखा है कि डीएसपी बने पांच साल होने पर पहली बार वह अपनी मां के पास वर्दी में खेत पर पहुंचे, जिसका मातृभाषा में संवाद हुआ। अम्मा खेत में गुड़ाली छुवालत मैं कैहौं कि आराम से रहो कर अबय काम करैं कै जरूरत निहाय तौ बोली महतारी कै ममता नहीं मानत याय, अपने बेटन कय दो रुपिया जोड़य चाहत ही। पढ़ाई करो चाहिए कहे से नौकरी राजा चीज होत ही, पढ़े से राज गद्दी मिलत ही। कभी मुंह से डांटा, कभी डंडे से पीटा कभी नींबू के पेड़ से बांधा, अनपढ़ थी लेकिन पढ़ाई के माहौल में बांधकर रखा।
जमीन, जायदाद और नेता विधायक सब फेल हैं सरकारी नौकरी के आगे। किसी को मेहनत की कोचिंग लेना हो तो देवगांव में बिना फीस, ले सकता है मेरी अम्मा से अमृत आशीष। सुनें शायद आपको अच्छा महसूस होगा, क्योंकि प्रत्येक मां बच्चों के लिए कुछ न कुछ जोड़कर रखना चाहती है। इसके साथ ही उन्होंने शायरी अंदाज में लिखा है कि ऐ गरीबी देख तेरा गुरुर टूट गया तेरा मुंह काला हो गया, तू दहलीज पर बैठी रही और मेरा बेटा पुलिसवाला हो गया।

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