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पटवारी की कांग्रेस में नाथ-दिग्गी का दबदबा
डेढ़ माह बाद भी नहीं कर पाए हैं कोई नियुक्ति
भोपाल । कांग्रेस हाईकमान द्वारा भले ही प्रदेश में पाटी का चेहरा जीतू पटवारी को बनाकर बदल दिया है, लेकिन उन्हें काम टीम कमलनाथ से कराना पड़ रहा है। इसकी वजह है उनके प्रदेशाध्यक्ष बनने के एक माह बाद भी वे अब तक प्रदेश संगठन में किसी भी पद पर एक भी नियुक्ति नहीं कर सके हैं। आलम यह है कि पटवारी की कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का दबदबा है। गौरतलब है किपार्टी ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह द्वारा तैयार की गई रणनीति के आधार पर ही विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद भी यह दोनों वरिष्ठ नेता अब भी प्रदेश में दखल रख रहे हैं। दरअसल इन दोनों ही नेताओं द्वारा अपने-अपने नेता पुत्रों का राजनीति में पूरी तरह से स्थापित करने की इच्छा है। वे इसके लिए पहले भी प्रयास करते रहे हैं, और प्रयास अब भी जारी रखे हुए हैं। भले ही कमलनाथ के पास अब पार्टी का कोई बड़ा दायित्व नहीं हैं, लेकिन इसके बाद भी उनके द्वारा जिस तरह से गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेशवासियों के नाम अपने संदेश को प्रसारित किया गया, उससे यह तय माना जा रहा है कि वे अब भी प्रदेश की राजनीति से दूर नहीं होना चाहते हैं। इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने निवास पर पत्रकार वार्ता कर जिस तरह से ईव्हीएम और वीवीपेट को लेकर आरोप लगाए उसके भी मायने निकाले जा रहे हैं।
हांलाकि पटवारी के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद माना जा रहा था कि उनके द्वारा प्रदेश पदाधिकारियों की नई टीम बनाई जाएगी, जिसमें युवाओं को तरजीह देते हुए, उन्हें अधिक मौका दिया जाएगा। इसकी वजह थी उनके द्वारा कार्यभार ग्रहण करते ही प्रदेश कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग करने की घोषणा करना। इस दौरान उनके द्वारा पार्टी के मोर्चा विभागों और पूर्व गठित जिला कार्यकारिणियों को भंग करने की जगह पूर्व की तरह काम करने को कहा गया था। अब प्रदेश अध्यक्ष पद पर जीतू पटवारी की नियुक्ति को करीब डेढ़ माह का समय होने जा रहा है, लेकिन मामला जस का तस बना हुआ है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि अब शायद ही लोकसभा चुनाव के पहले वे अपनी नई टीम का गठन कर पाएं। इसकी वजह से उन्हें लोकसभा चुनाव में भी पुरानी टीम से ही काम चलाना पड़ेगा। अहम बात यह है कि अब भी पार्टी के नेता प्रदेश कार्यकारिणी भंग होने के बाद भी अपने नामों के साथ पूर्व के पदों का उल्लेख करने में पीछे नहीं रह रहे हैं। उधर, इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यह स्थिति प्रदेश में तब बनी हुई है, जबकि भाजपा पूरी तरह से लोकसभा चुनाव के मोड में आ चुकी है। भाजपा अपने मैदानी स्तर तक के संगठन को पूरी तरह से चुनाव के लिए सक्रिय कर चुकी है। इसके उलट कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अभी प्रदेश कार्यकारिणी तक का गठन नहीं कर सके हैं। माना जा रहा है कि अगले माह के पहले पखवाड़े के बाद कभी भी लोकसभा चुनावों की घोषणा हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस को बगैर प्रदेश कार्यकारिणी के ही चुनावी समर में उतरना होगा। ऐसे में पार्टी का काम कैसे होगा समझा जा सकता है। इस तरह की स्थिति में पार्टी को उन्ही जिला इकाईयों के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लडऩा होगा, जिनके नेतृत्व में पार्टी विधानसभा चुनाव में उतरी थी और उसे हार का सामना करना पड़ा है।
हाईकमान दे चुके हैं संदेश
जिस तरह से विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी हाईकमान ने तीन युवा चेहरों को प्रदेश में कमान सौंपी है, उससे यह तो साफ हो गया है कि कांग्रेस प्रदेश में भाजपा की तरह पीढ़ी परिवर्तन करना चाहती है। प्रदेश में जहां जीतू पटवारी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है, वहीं उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही यह भी माना जाने लगा है कि प्रदेश में वृद्ध हो चुकी कांग्रेस की पीढ़ी के दिन अब लदने वाले हैं। दरअसल पार्टी में अब तक प्रदेश में उम्रदराज हो चुके नेताओं के पास ही महत्वपूर्ण पद रहे हैं। नए पदाधिकारियों की घोषणा न हीं होने से अभी प्रदेश में पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा नियुक्त किए गए पदाधिकारी ही पार्टी में कामकाज कर रहे हैं। माना जा रहा है कि जब भी पटवारी अपनी टीम बनाएंगे, उसमें नए और युवा चेहरों को भरपूर मौका दिया जाएगा। इसमें युवा कांग्रेस और एनएसयूआई के नेताओं को तबज्जो मिलने की उम्मीद है।