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हमारी सरकार किसान को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित: तुलसी सिलावट

जल संसाधन,मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास विभाग मंत्री तुलसी राम सिलावट का विधान सभा के बजट सत्र में अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बजट भाषण

जल संसाधन मंत्री ने गिनाईं विभाग की उपलब्ध्यिां
भोपाल । जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने विभाग की उपलब्धियों एवं लक्ष्यों के संबंध वक्‍त्‍वय दिया। मंत्री श्री सिलावट ने अपने वक्‍त्‍व्‍य में बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में हमारी जनकल्याणकारी सरकार सतत् रूप से जनहित के कार्यों में संलग्न रही है। हमारी सरकार का मानना है कि जनसेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। सरकार जल संसाधनों का अधिकतम् उपयोग कर आधुनिक एवं उन्नत सिंचाई प्रणाली के माध्यम से प्रत्येक किसान को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिये संकल्पित है। जल संसाधन मंत्री ने विभाग की उपलब्धियों एवं लक्ष्यों के बारे में बताया कि सिंचाई प्रबंधन में जल का अधिकतम् उपयोग करने में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। इसके लिए भारत सरकार के केंद्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा ब्यूरो द्वारा राज्‍य को बेहतर सिंचाई प्रबंधन के लिए सी.बी.आई.पी. अवार्ड प्रदान किया गया है। 
2025 तक सिंचाई का रकबा 65 लाख हेक्टेयर किए जाने का लक्ष्‍य
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश में जल संसाधन एवं नर्मदा घाटी विकास विभाग के माध्यम से की जाने वाली सिंचाई के रकबे में लगभग 06 गुना वृद्धि की गई है। 20 वर्ष पूर्व 2003 में शासकीय स्त्रोतों से किए जाने वाला सिंचाई का रकबा लगभग 07 लाख हेक्टेयर था, जबकि वर्तमान में लगभग 45 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी है। प्रदेश में सिंचाई का रकबा वर्ष-2025 तक 65 लाख हेक्टेयर किया जाना लक्षित है। इसी क्रम में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत् वर्ष-2025 तक सिंचाई का रकबा बढ़ाकर 46 लाख हेक्टेयर किये जाने का लक्ष्य तय किया गया है। 
प्रदेश में 05 हजार से अधिक परियोजनाएं निर्मित
दिसम्बर-2023 तक लगभग 03 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का विकास किया जाना तय किया गया है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 18 वृह्द, 95 मध्यम् एवं 05 हजार 236 लघु सिंचाई परियोजनाएं अर्थात् कुल 05 हजार 349 परियोजनाएं पूर्ण रूप से निर्मित हैं। वर्तमान में जल संसाधन विभाग के अन्तर्गत 32 वृह्द, 50 मध्यम् एवं 393 लघु सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिनकी कुल लागत 73 हजार 19 करोड़ रूपये है। इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लगभग 28 लाख 52 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित होगी। 
36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा
जल संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2022-23 में खरीफ की फसल के लिए 02 लाख 67 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में तथा रबी की फसल के लिए 32 लाख 46 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसके अतिरिक्त वर्ष 2022-23 में लगभग 87 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ग्रीष्म कालीन मूंग की फसल हेतु भी सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई। इस प्रकार विभाग द्वारा वर्ष 2022-23 में कुल 36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई।
केन-बेतवा लिंक परियोजना
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत-रत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का भारतवर्ष की नदियों को जोड़ने का जो सपना था, वह केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के रूप में साकार होने जा रहा है। केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है। इस परियोजना के पूर्ण होने पर मप्र के सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 08 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा तथा प्रदेश की 41 लाख आबादी को पेयजल सुविधा प्राप्त होगी। इसके साथ ही परियोजना से 103 मेगावॉट बिजली का उत्पादन भी होगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना से मध्यप्रदेश के 10 जिले लाभांवित होंगे। 
अटल भू-जल योजना
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भू-जल स्तर को बढ़ाने, पेयजल संकट को दूर करने एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘‘अटल भू-जल योजना’’ प्रारंभ की गई है। यह योजना प्रदेश के 06 जिलों के 09 विकासखण्डों में क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना से चयनित क्षेत्रों में भू-जल स्तर में सुधार होने से स्थानीय किसानों को लाभ प्राप्त होगा तथा किसानों की आय बढ़ेगी। 
06 हजार 06 सौ करोड़ से बनेगी श्रीमंत माधवराव सिंधिया वृह्द सिंचाई परियोजना
राज्‍य सरकार द्वारा चंबल नदी की सहायक नदी कूनों पर श्रीमंत माधवराव सिंधिया वृह्द सिंचाई परियोजना प्रस्तावित की गई है। इस परियोजना से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की लगभग 02 लाख 50 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी तथा क्षेत्र की पेयजल समस्या का निवारण भी होगा। परियोजना के अन्तर्गत 06 जलाशयों का निर्माण किया जाएगा। परियोजना से गुना, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना एवं ग्वालियर जिले के लगभग 800 ग्रामों के 02 लाख से अधिक परिवार लाभांवित होंगे। परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 06 हजार 06 सौ करोड़ रूपये है।
*कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना*
महाकाल की नगरी उज्‍जैन में पवित्र क्षिप्रा नदी के जल को कान्ह नदी के दूषित जल से बचाने के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना का निर्माण किया गया है। 600 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाली इस योजना के द्वारा कान्ह नदी के दूषित जल को क्षिप्रा नदी में मिलने से रोका जायेगा। इस योजना का सार्थक स्वरूप वर्ष-2028 के महाकुंभ में दिखाई देगा। 
बजट भाषण की मुख्‍य बिंदु
विभाग द्वारा पाईप सिंचाई प्रणाली पर आधारित सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण कर मध्यप्रदेश में जल का अनुकूलतम् एवं अधिकतम् उपयोग कर सिंचाई क्षमता की दक्षता को बढ़ाया गया है।
मध्यप्रदेश में पाईप आधारित सिंचाई प्रणाली के माध्यम से किसान के 01 हेक्टेयर से 05 हेक्टेयर चक तक सिंचाई हेतु पानी पहुंचाया जा रहा है। ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
  
*राज्‍य सरकार द्वारा ड्रिप-प्प् परियोजना को लागू किया गया है, जिसके तहत् आने वाले 05 वर्षों में प्रदेश के 27 बांधों की सुरक्षा एवं मरम्मत की जावेगी। इसके लिये विश्व बैंक के सहयोग से 551 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।*
   *मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने और मछुआ विभाग के विकास के लिए निरंतर कार्य कर रही सरकार- मंत्री श्री सिलावट*
*मत्स्य विभाग के विकास और उपलब्धियों पर मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने दिया वक्तव्य* 
भोपाल, 21 मार्च 2023। मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग मंत्री श्री तुसलीराम सिलावट ने विभाग की उपलब्धियों पर मंगलवार को अपना वक्तव्य जारी किया। मंत्री श्री सिलवाट ने कहा कि मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान एवं विकास के लिए कार्य करने वाला महत्वपूर्ण विभाग है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह के नेतृत्व में प्रदेश की जनकल्याणकारी सरकार राज्य में मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने एवं मछुआ भाईयों के समुचित कल्याण के लिये निरंतर सार्थक कार्य कर रही है। मंत्री श्री सिलवाट ने कहा कि प्रदेश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिये विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में मत्स्य पालन विकास हेतु ग्रामीण तालाबों और सिंचाई जलाशयों के कुल उपलब्ध 04 लाख 40 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र में से 04 लाख 38 हजार हेक्टेयर जल क्षेत्र मत्स्य पालन के अन्तर्गत आता है। जो कि कुल उपलब्ध जल क्षेत्र का 99 प्रतिशत है। जिसमें मत्स्य विभाग द्वारा मत्स्य पालन की विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाती हैं।
5 गुना से अधिक निवेश
मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग मंत्री ने बताया कि मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आगामी 05 वर्षों में विगत् 05 वर्षों की तुलना में 05 गुना से अधिक निवेश किया जाना प्रस्तावित है। मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश आत्मनिर्भर होने की दिशा में अग्रसर है। इस क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ रही है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अन्तर्गत वर्ष-2023 तक वार्षिक मत्स्य उत्पादन 03 लाख मेट्रिक टन किये जाने का लक्ष्य रखा गया था। विभाग द्वारा अभी तक 03 लाख मेट्रिक टन से अधिक मत्स्य उत्पादन किया जाकर शत्-प्रतिशत् उपलब्धि प्राप्त कर ली गई है।
200 करोड़ मानक फ्राई किए जाने का लक्ष्य
देश में मत्स्य उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर जहां लगभग 10 प्रतिशत है, वहीं मध्यप्रदेश में यह वृद्धि दर विगत् 03 वर्षों से लगभग 20 प्रतिशत है। मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है तथा इस क्षेत्र में भी निजी भागीदारी बढ़ रही है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अन्तर्गत वर्ष-2023 तक वार्षिक मत्स्य बीज उत्पादन 200 करोड़ मानक फ्राई किये जाने लक्ष्य रखा गया था। विभाग द्वारा अभी तक 200 करोड़ 80 लाख मानक फ्राई मत्स्य बीज उत्पादन किया जाकर शत्-प्रतिशत् उपलब्धि प्राप्त कर ली गई है।
66 हजार से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किये
प्रदेश के मछुआ भाईयों के कल्याण के लिए तथा मत्स्य पालन के लिए कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासन द्वारा ‘‘किसान क्रेडिट कार्ड योजना’’ संचालित है। इस योजना के तहत् प्रदेश के मछुआ भाईयों को अभी तक 66 हजार से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किये जा चुके हैं।
 
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत् मछली पालन के क्षेत्र में सतत् विकास एवं समुचित प्रबंधन के लिये प्रदेश में ‘‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’’ संचालित है। जिसका मुख्य उद्देश्य मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिला हितग्राहियों को 60 प्रतिशत एवं सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को 40 प्रतिशत अनुदान सहायता प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
222 बायोफ्लॉक स्थापित
‘‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’’ के तहत् प्रदेश में अभी तक 17 हैचरी, 222 बायोफ्लॉक, 142 आर.ए.एस., 17 आइस प्लांट तथा 47 फिश फीड मिल स्थापित किये गये हैं। इसके अतिरिक्त मछुआ भाईयों को मछली व्यवसाय के लिए 16 इंसूलेटेड वाहन, 1,206 मोटरसाईकल विथ आइस बॉक्स तथा 113 थ्री-व्हीलर विथ आइस बॉक्स भी विभाग द्वारा प्रदान किये गये हैं। 
बालाघाट जिले को मिला पुरस्कार
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश भर में अग्रणी राज्य है। विगत् वर्ष बालाघाट जिले को मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये भारत सरकार द्वारा देश भर में सर्वश्रेष्ठ जिले का पुरूस्कार प्रदान किया गया है। वहीं मछुआ भाईयों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम संचालित करने के लिए मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ सहकारी मर्यादित को वर्ष 2022-23 में देश के सर्वश्रेष्ठ महासंघ का पुरुस्कार प्रदान किया गया है। मछुआ भाईयों को दुर्घटना की स्थिति में आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से ‘‘निःशुल्क व्यक्तिगत् दुर्घटना बीमा योजना’’ संचालित की जा रही है। योजना के अन्तर्गत मछुआ भाईयों की दुर्घटना में मृत्यु होने पर उसके परिवार को 05 लाख रूपये तथा स्थाई विकलांगता की स्थिति में 2.5 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। अभी तक 01 लाख 17 हजार 499 मछुआ भाईयों को निःशुल्क दुर्घटना बीमा के तहत् सम्मिलित किया जा चुका है।
2 हजार 834 मछुआरों को प्रशिक्षण
विस्तार एवं प्रशिक्षण (मछुआ प्रशिक्षण) योजना अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में अभी तक 02 हजार 834 मछुआरों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। मछली पालन में रोजगार के अवसर की संभावनाओ को देखते हुए, मुख्यमंत्री द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में ‘‘मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना’’ प्रारंभ की गई है। जिसके लिए 50 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है।
505 हेक्टेयर जल क्षेत्र में झींगा पालन का लक्ष्य
वर्ष 2022-23 में प्रदेश में 7.24 मेट्रिक टन झींगा उत्पादन किया गया है। प्रदेश के 127 जलाशयों में 126 लाख 49 हजार झींगा बीज का संचयन किया जा चुका है। वर्ष 2022-23 में प्रदेश 505 हेक्टेयर जल क्षेत्र में झींगा पालन का लक्ष्य रखा गया है।
272 स्मार्ट फिश पार्लर
प्रदेश में उत्पादित मछलियों की मार्केटिंग एवं ब्राडिंग तथा विक्रय हेतु समुचित वातावरण तैयार करने के लिए प्रदेश के 16 शहरों में 272 स्मार्ट फिश पार्लर खोले जा रहे हैं। 
योजनाएं
मत्स्य महासंघ द्वारा मछुआ भाईयों के लिए आजीविका सहयोग राशि, जलदीप योजना, शिक्षा प्रोत्साहन योजना, गंभीर बीमारियों हेतु अनुदान, मुख्यमंत्री मीनाक्षी विवाह योजना, निषादराज छात्रवृत्ति योजना, अनुग्रह राशि योजना, आदि कल्याणकारी कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय फिशरीज़ वर्कशॉप
प्रदेश में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने तथा प्रदेश में उत्पादित मत्स्य उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने के उद्देश्य से सितम्बर-2022 में विभाग द्वारा एक अन्तर्राष्ट्रीय फिशरीज़ वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें 05 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वर्ष 2022-23 में मत्स्योद्योग विकास कार्य के अन्तर्गत मांग संख्या-16 में सभी मदों के लिये कुलराशि रूपये 250 करोड़ 20 लाख 23 हजार का बजट प्रावधान विभाग को उपलब्ध हुआ है।

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