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पुण्य स्मरण : माधवराव सप्रे

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यशस्वी संपादक, लेखक,अनुवादक और पत्रकार माधवराव सप्रे की आज पुण्यतिथि है । 19 जून1871 में जन्में माधवराव सप्रे ने मिडिल की पढ़ाई बिलासपुर से की और मैट्रिक की पढ़ाई रायपुर से ततपश्चात उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए किया ।

 उन्होंने तहसीलदार की नौकरी अपनी देशभक्ति के चलते ठुकरा दी और राष्ट्रवाद की अलख जगाने में जीवन खपा दिया । 1900 ईस्वी में उन्होंने छत्तीसगढ़ मित्र पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया और बाल गंगाधर तिलक के अखबार केसरी को हिंदी केसरी के नाम से प्रकाशित करना शुरू किया । माखन लाल चतुर्वेदी के संपादन में निकलने वाली पत्रिका कर्मवीर के प्रकाशन में भी उनकी अहम भूमिका रही । 1924 में उन्हें हिंदी साहित्य सम्मेलन देहरादून का सभापति चुना गया । बतौर अनुवादक उन्होंने समर्थ रामदास की रचना दास बोध और लोकमान्य तिलक की गीता रहस्य का हिंदी अनुवाद किया । अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग सप्रेजी ने रायपुर में पहले कन्या विद्यालय जानकी देवी महिला पाठशाला की स्थापना के साथ महिला शिक्षा की दिशा में सराहनीय कार्य किया ।

उनकी कहानी टोकरी भर मिट्टी को हिंदी की प्रथम कहानी माना जाता है। यह कहानी अपनी बनावट और कथ्य में अपने समय से आगे की रचना है ।

उन्होंने स्वदेशी आंदोलन और बायकाट, यूरोप के इतिहास से सीखने योग्य बातें आदि कृतियों के साथ कहानी, निबंध, लेख आदि की सौगात हिंदी जगत को दीं । उनकी कहानियों का एक महत्वपूर्ण संकलन देवी प्रसाद वर्मा के संपादन में तथा प्रतिनिधि रचनाओं का संकलन आलोचक मैनेजर पांडेय के सम्पादन में प्रकाशित है । हिंदी के पहले समालोचक माने जाने वाले सप्रे जी का निधन 23 अप्रैल 1926 को हुआ ।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में श्री विजयदत्त श्रीधर जी Vijay Dutt Shridhar द्वारा माधवराव सप्रे संग्राहलय स्थापित किया गया है । यह प्रदेश ही नहीं देश का अनूठा संग्राहलय है । अध्ययन और शोध कर रहे विद्यार्थियों के लिए यह तीर्थ है

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