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S t Regervetion: मध्यप्रदेश सरकार नेआदिवासियों के साथ किया छल, आरक्षित पद संघीयों को सौंपे
सीएम कार्यालय से मिली नियुक्ति
भोपाल । आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए बने पेसा कानून में भी सरकार ने आदिवासियों के साथ छल किया है। इस कानून के तहत आदिवासी युवाओं के लिए निकाली गई भर्ती में उनसे 5 करोड़ रूपए की फीस तो ले ली गई, लेकिन पद संघ के स्वयंसेवकों को सौंप दिया गया। गौरतलब है कि पेसा कानून का क्रियान्वयन आदिवासियों को अपने विकास के निर्णय लेने के अधिकार देने के लिए किया गया है, मगर भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इसे आदिवासियों की लूट और संघी स्वयंसेवकों को रोजगार देकर संघी साम्प्रदायिकता का विस्तार करने का माध्यम बना दिया है। यह आरोप माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने लगाया है। उनका कहना है कि पेसा कानून के तहत आदिवासी बहुल इलाकों में जिला व विकास समन्वयक के 89 पद सृजित किए गए थे, जिसके लिए दस हजार आदिवासी युवक और युवतियों ने आवेदन किया था। हर आवेदक से 500 रूपए फीस वसूल कर सरकार ने बेरोजगार आदिवासी युवक-युवतियों से 5 करोड़ रुपए सरकार के खजाने में डलवा लिए गए। इनमें से 889 को पास कर भोपाल साक्षात्कार के लिए बुलाने की सूचना भी पिछले साल दी गई, मगर बाद में सूचना देकर साक्षात्कार कैंसिल कर दिया गया।
-आदिवासी इंतजार करते रहे संघी पा गए पद
माकपा नेता ने कहा है कि पात्र आदिवासी युवक साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने का इंतजार करते रहे, जबकि इसी बीच संघ से जुड़े ऐसे लोगों को बुलाकर 88 लोगों की नियुक्ति कर दी गई जिनका नाम 889 योग्य पात्रों की सूची में भी नहीं था। नियुक्त किए गए कुछ स्वयंसेवकों ने तो आवेदन तक भी नहीं किया था। जसविंदर सिंह ने कहा है कि बड़वानी मे नियुक्त किए गए समन्वयक ने तो समाज सेविका मेधा पाटकर पर फंड में हेराफेरी करने की झूठी रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी। नियुक्त किए गए कुछ समन्वयक तो अपराधी प्रवृत्ति के हैं, जो लोगों को धमका रहे हैं।
-सीएम कार्यालय से मिली नियुक्ति
माकपा नेता ने कहा है कि इन सबकी नियुक्ति मुख्यमंत्री की देखरेख में मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी लक्ष्मण सिंह मरकाम ने की है, जो स्वयं भी संघ का स्वयंसेवक है। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि इन नियुक्तियों से सिर्फ आदिवासी युवक युवतियों के भविष्य के साथ ही खिलवाड़ नहीं किया गया है बल्कि पेसा कानून पर अमल सुनिश्चित कर आदिवासियों को जल जंगल और जमीन का अधिकार देने और विकास संबंधी निर्णय लेने की बजाय संघ की साम्प्रदायिकता को फैलाने और आदिवासियों की संस्कृति पर हमला करने की साजिश है। माकपा नेता ने उपरोक्त नियुक्तियां निरस्त कर पात्र आदिवासी युवक युवतियों को रोजगार देने की मांग की है।