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एमसीयू में विश्व कठपुतली दिवस पर विशेष व्याख्यान,
भोपाल । कठपुतली विश्व का प्राचीनतम रंगमंच पर खेले जाने वाला कार्यक्रम है। इनके माध्यम से सशक्त संदेश, संवाद एवं सामाजिक मुद्दों के साथ सामाजिक कुरीतियों को उजागर करने की दिशा में संचार का संप्रेषण किया जाता है। कठपुतली अत्यंत सहज सरल और रोचक संचार पद्धति है ।
उक्त विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग में विश्व कठपुतली दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लेखक, विचारक एवं श्रेष्ठ अध्येता ,प्राध्यापक पुरस्कार से सम्मानित डा. रामदीन त्यागी ने व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि कठपुतली का संसार बहुत व्यापक है। भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा इंडोनेशिया और कंबोडिया जैसे देशों में इनका प्रचलन देखा जा सकता है। कठपुतली संचार की ऐसी लोक कला है जिसके माध्यम से अत्यंत सहज, सरल और रोचक तरीके से संदेशों का संप्रेषण किया जाता है । उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के सिंहासन में जड़ित 32 पुतलियों का उल्लेख सिंहासन बत्तीसी नमक कथा में भी मिलता है। कठपुतलियों का इतिहास समृद्ध और सशक्त है । उन्होंने पत्रकारिता के विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे भारतीय मूल्य से जुड़ी हुई परंपराओं को जीवित रखने में अपना योगदान दें। कार्यक्रम के प्रारंभ में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के समन्वयक श्री मुकेश चौरासे ने विषय प्रतिपादन किया और विश्व कठपुतली दिवस की प्रस्तावना रखी । कार्यक्रम में विवि के जनसंपर्क अधिकारी डॉ अरुण खोबरे ,सहायक प्राध्यापक राहुल खड़िया, प्रोडक्शन सहायक प्रियंका सोनकर अतिथि प्राध्यापक जगमोहन सिंह राठौड़,सुमित श्रीवास्तव, आनंद जोनवार, डाक्टर अरुण कोपरकर ,सौरभ सक्सेना,आकाश सैनी सहितअन्य प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।