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एम्स भोपाल में 68 साल से जन्मजात बीमारी से ग्रस्त महिला का सफल इलाज

भोपाल ।।एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ ) अजय सिंह के निर्देशन में डाक्टरों की टीम ने 68 साल से जन्मजात बीमारी से ग्रस्त एक महिला का सफल ऑपरेशन कर जीवनदान दिया। दरअसल गोरखपुर की रहने वाली एक महिला जन्मजात डायाफ्रामिक हर्निया (सीडीएच) बीमारी से ग्रस्त थी। यह बीमारी डायाफ्राम के असामान्य विकास के कारण होती है। जहां डायाफ्राम (बड़ी मांसपेशी जो छाती को पेट से अलग करती है) में एक छेद होता है। पेट के अंग (जैसे आंत, पेट और यकृत) डायाफ्राम में छेद के माध्यम से और ऊपर की ओर छाती में चले जाते हैं। और उस स्थान पर कब्जा कर लेते हैं जहां उनके फेफड़े होने चाहिए। जिसके कारण सांस लेने में बहुत परेशानी होती है। यह महिला पिछले 7 -8 सालों से सीधे लेट भी नहीं पा रही थी। उत्तर प्रदेश के कई अस्पतालों में दिखाने के बाद वो एम्स भोपाल की सीटीवीएस ओपीडी में आयी। महिला की अच्छी प्रकार जांच करने पर उसे जन्मजात बीमारी सीडीएच से ग्रस्त पाया गया और उसका ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया । डॉ योगेश निवारिया के नेतृत्व में कार्डियक सर्जन, जनरल सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट की एक टीम ने मरीज की सर्जरी को अंजाम दिया। यह ऑपरेशन 4 घंटे तक चला । ऑपरेशन में कई चुनौतियाँ थीं, क्योंकि मरीज का बायाँ फेफड़ा जन्म से ही दबा हुआ था, आंतें फेफड़े, हृदय और प्रमुख धमनियों और नसों जैसे महत्वपूर्ण अंगों से चिपकी हुई थीं। प्रक्रिया के दौरान आस-पास की आंत में चोट लगने का काफी जोखिम था। सर्जिकल टीम ने रोगी की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए, एक कृत्रिम झिल्ली का उपयोग करके सावधानीपूर्वक डायाफ्रामिक दीवार को फिर से बनाया। उल्लेखनीय रूप से, मरीज ने सर्जरी के बाद तेजी से सुधार दिखाया, यहां तक कि दूसरे दिन से चलना भी शुरू कर दिया। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ ) अजय सिंह ने पूरी टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा की एम्स भोपाल भविष्य में भी हर एक चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

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