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सुअरों में फैलने वाला स्वाइन फ्लू पहली बार इंसान में मिला

लंदन। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) का कहना है कि ब्रिटेन में पहली बार किसी इंसान में स्वाइन फ्लू के स्ट्रेन का पता चला है। यह शख्स सांस लेने में दिक्कत की वजह से टेस्ट के लिए आया था। जांच में शख्स में स्वाइन फ्लू के स्ट्रेन एच1एन2 का पता चला। यह सूअरों में फैलने वाला वायरस है लेकिन इंसान में इस स्ट्रेन के पाए जाने का पहला मामला सामने आया है। हालांकि, अब यह शख्स पूरी तरह से ठीक हो गया है लेकिन उसे मॉनिटर किया जा रहा है।

यूकेएचएसए की इंसिडेंट डायरेक्टर डॉ. मीरा चंद ने कहा कि यह पहली बार है, जब हमें ब्रिटेन में किसी इंसान में इस वायरस का पता चला है। यह सूअरों में पाए जाने वाले वायरस से मिलता-जुलता है। उन्होंने कहा कि हम तय प्रोटोकॉल के तहत यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि शख्स को यह इंफेक्शन कैसे हुआ? यूकेएचएसए की मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी क्रिस्टीन मिडलमिस ने बताया कि हम जानते हैं कि जानवरों की कुछ बीमारियां इंसानों को भी हो सकती हैं। हम विभिन्न विभागों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमने सूअर पालकों को भी आदेश जारी किए हैं कि अगर उनके यहां किसी सूअर को फ्लू है तो वह जल्द जानकारी दें।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आमतौर पर सूअरों में फैलने वाला इन्फ्लूएंजा वायरस जब किसी इंसान में पाया जाता है, तो इसे वेरिएंट इन्फ्लूएंजा वायरस कहते हैं. एच1एन1, एच1एन2 और एच3एन2 सूअरों में पाए जाने वाले वायरस के प्रमुख प्रकार हैं, जिससे इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं। स्वाइन फ्लू एक संक्रामक सांस की बीमारी है, जो सामान्य तौर पर सूअरों में होती है, ये स्वाइन इन्फ्लूएंजा ए वायरस के एच1एन1 स्ट्रेंस के कारण होती है. हालांकि एच1एन2, एच3एन1 और एच 3 एन 2 के रूप में अन्य स्ट्रेंस भी सूअरों में मौजूद रहते हैं।
यूकेएचएसए में इंसीडेंट डायरेक्टर डॉ मीरा चंद ने कहा, यह पहली बार है जब हमने यूके में मनुष्यों में इस वायरस का पता लगाया है, हालांकि यह सूअरों में पाए गए वायरस के समान है। हम करीबी संपर्कों का पता लगाने और किसी भी संभावित प्रसार को कम करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। मरीज को इसका संक्रमण कैसे हुआ, इसकी भी जांच की जा रही है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या इससे जुड़े या संबंधित और भी मामले हैं। भारतीय मूल के माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने इस बात पर जोर दिया कि नियमित फ्लू निगरानी और जीनोम सीक्वेंसिंग से इन्फ्लुएंजा ए (एच1एन2)वी नाम के नए वायरस स्ट्रेन का पता चला। मौजूदा दौर में यह ब्रिटेन में सूअरों में फैल रहे फ्लू वायरस के जैसा है।
यूकेएचएसए की मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी क्रिस्टीन मिडलमिस ने कहा, हम जानते हैं कि जानवरों की कुछ बीमारियाँ मनुष्यों में स्थानांतरित हो सकती हैं – यही कारण है कि पशु स्वास्थ्य, कल्याण और जैव सुरक्षा के हाई स्टैंडर्ड इतने महत्वपूर्ण हैं।सुअर पालने वालों को भी अपने झुंड में स्वाइन फ्लू के किसी भी संदेह की सूचना तुरंत अपने स्थानीय पशु चिकित्सक को देनी होगी। , इसके साथ ही यह भी सलाह है कि किसी भी श्वसन लक्षण वाले लोगों को मौजूदा दिशानिर्देशों का पालन करना जारी रखना चाहिए। लक्षण बने रहने पर अन्य लोगों के संपर्क से दूर रहना जरूरी है। बुजुर्गों और बीमारों को लेकर इसका खास ख्याल रखना है।
यूकेएचएसए स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है और उत्तरी यॉर्कशायर के कुछ हिस्सों में जीपी सर्जरी और अस्पतालों से जुड़े मौजूदा कार्यक्रमों के भीतर निगरानी बढ़ाने के लिए कदम उठा रहा है। मामलों का पता लगाने और ट्रांसमिशन के मूल्यांकन में सहायता के लिए, जिन लोगों से संपर्क किया जाता है और परीक्षण करने के लिए कहा जाता है, उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है विशेषज्ञों के अनुसार, आमतौर पर सूअरों में फैलने वाला इन्फ्लूएंजा वायरस जब किसी व्यक्ति में पाया जाता है, तो इसे वेरिएंट इन्फ्लूएंजा वायरस कहा जाता है।

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