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आउटसोर्स कर्मचारी को अपने हक की बात करना भाजपा राज में अपराध : वासुदेव शर्मा
भाजपा ठेकेदारों की सरकार, कर्मचारी विरोधी सरकार : वासुदेव शर्मा
हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाला शिवराज सरकार ने
भोपाल । अपने हक की बात करने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से की गई हडताल में शामिल होने वाले एमपीईबी के हजारों आउटसोर्स-संविदा कर्मचारियों को भाजपा की शिवराज सरकार ने नौकरी से निकाल कर ब्लैक लिस्ट करने की सजा दी है। यह कार्रवाई सीधे मुख्यमंत्री के निर्देश पर हुई है। भाजपा सरकार ठेकेदारों की सरकार है, कर्मचारी विरोधी सरकार है। आउटसोर्स कर्मचारी को अपने हक की बात करना भाजपा सरकार में अपराध है। मप्र कांग्रेस आउटसोर्स, अस्थाई एवं संविदा कर्मचारी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने शिवराज सरकार की इस कार्यवाही को कर्मचारियों को डराने और दबाव बनाने वाली कार्यवाही बताते हुये यह बात कही।
श्री शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार की तानाशाही के खिलाफ सभी संगठनों को एकजुट होकर विरोध करने की जरूरत है, वरना शिवराज सरकार कर्मचारियों, श्रमिकों के बोलने के संवैधानिक अधिकार को छीन कर गुलाम बना देगी। उन्होंने सरकार से कर्मचारियों के निलंबन तत्काल वापस लेने और सभी आउटसोर्स संविदा कर्मचारियों की तत्काल बहाली करने की मांग की है।
श्री शर्मा ने कहा कि बीते 21 जनवरी से शुरू हुई एमपीईबी की हडताल को जनता का व्यापक समर्थन मिला है। पूर्व मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथजी ने सरकार को पत्र लिखा, कांग्रेस के विधायकों ने हडताल स्थल पर पहुंचकर आउटसोर्स संविदा कर्मचारियों को समर्थन देकर उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि सभी विभागों के आउटसोर्स एवं संविदा कर्मचारी भी इनके समर्थन में आए, पहली बार किसी हडताल को 50 से अधिक कर्मचारी श्रमिक संगठनों का नैतिक समर्थन मिला, जिससे हर तरफ सरकार बेनकाव हुई और पूरी भाजपा बौखला गई, मुख्यमंत्री, मंत्री, ठेकेदार एकजुट होकर एमपीईबी की हडताल के खिलाफ खडे होकर कर्मचारियों को डराने, धमकाने और नौकरी से निकालने जैसी तानाशाहीपूर्ण कार्यवाही करते हुए किसी भी कीमत पर हडताल को खत्म कराने की साजिशें रचने लगे, जिस कारण 27 जनवरी को हडताल स्थगित करनी पडी।
श्री शर्मा ने बताया कि एमपीईबी की हडताल का नेतृत्व कर रहे आउटसोर्स यूनियन के अध्यक्ष राहुल मालवीय, संविदा के अध्यक्ष अरूण ठाकुर पर पहले निलंबन की कार्रवाई की गई, मनोज भार्गव का ग्वालियर से श्योपुर तबादला कर दिया गया, इसके बाद भी हडताल चलती रही, तब हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों को निलंबित करने की कार्रवाई शुरू हुई। सरकार ने लोकतांत्रिक तरीके से चल रही हडताल पर तानाशाही पूर्ण रुख अपनाते हुए यूनियनों से बात करने की बजाय हडताल खत्म करने की जिद पकड ली, जिसे किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता। शर्मा ने हडतालों, आंदोलनों के प्रति शिवराज सरकार के रूख को अपने हक की बात करने के अधिकार को समाप्त करने वाला बताया।