Uncategorized

द इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड पिछले साल की तुलना में आय में 92.5% की बढ़ोतरी

CISAC ग्लोबल कलेक्शन रिपोर्ट के अनुसार, द इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) अब राजस्व के संदर्भ में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की चौथी सबसे बड़ी सोसायटी बन गई है। 

मुंबई । हाल ही में CISAC ग्लोबल कलेक्शन रिपोर्ट 2023 जारी किया गया है जो साल 2022 में इकट्ठा किए गए डेटा पर आधारित है और इस रिपोर्ट से पता चलता है कि विश्व स्तर पर म्यूजिक के क्षेत्र को एक नया जीवन मिला है। रिपोर्ट के नतीजे बताते हैं कि, दुनिया को महामारी से छुटकारा मिलने के बाद साल 2022 में क्रिएटर्स से एकत्र की गई कुल वैश्विक रॉयल्टी 28% की शानदार बढ़ोतरी के साथ 10.83 बिलियन यूरो के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। लाइव परफॉर्मेंस के साथ-साथ सार्वजनिक प्रदर्शनों में उछाल तथा डिजिटल राजस्व में लगातार मजबूत विस्तार से इस प्रगति को काफी बढ़ावा मिला। पूरी दुनिया में डिजिटल स्रोतों से प्राप्त क्रिएटर्स की रॉयल्टी का कुल योग 4.1 बिलियन यूरो है। मुश्किल से एक दशक से भी कम समय में, स्ट्रीमिंग ने CISAC के सदस्यों के साथ-साथ उन 5 मिलियन क्रिएटर्स के जीवन को बदल दिया है जिनके लिए यह काम करता है।
CISAC की रिपोर्ट में द इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) को राजस्व के संदर्भ में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की चौथी सबसे बड़ी सोसायटी के रूप में स्थान दिया गया है, जबकि पूरी दुनिया में म्यूजिक से होने वाले कनेक्शन के मामले में सबसे बड़ी 50 सोसाइटी में भारत 23वें स्थान पर पहुंच गया है, जो इससे पहले वर्ष 2018 में 47वें स्थान पर था। 
रिपोर्ट के नतीजे बताते हैं कि, IPRS ने पिछले साल की तुलना में 92.5% की शानदार बढ़ोतरी दर्ज करते हुए वर्ष 2022 में 68 मिलियन यूरो का राजस्व एकत्र किया। ये नतीजे भारत की लगातार विकसित हो रही म्यूजिक इंडस्ट्री का संकेत देते हैं, और इससे कुल मिलाकर उल्लेखनीय विकास का पता चलता है। यह परिणाम IPRS द्वारा इस आश्चर्यजनक परिवर्तन को हक़ीक़त में बदलने के लिए की गई कोशिशों की पुष्टि करता है।  
सामान्य तौर पर आयोजित पब्लिक परफॉर्मेंस – यानी कार्यक्रमों/ बैकग्राउंड, टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग से आय राजस्व में सुधार तथा वर्ष के दौरान डिजिटल राजस्व में बढ़ोतरी की वजह से ही भारत में यह प्रगति संभव हो पाई है। यह एक सकारात्मक विकास को उजागर करता है क्योंकि सोसायटी ने डिजिटल राजस्व पर अपनी निर्भरता कम कर दी है, जिनके इनकम-पूल का अनुपात वित्त-वर्ष 2021-2022 में 80% था जो वित्त-वर्ष 2022-2023 में घटकर 67.1% हो गया है। यह विविधीकरण IPRS को अधिक स्थिरता प्रदान करता है, साथ ही इससे बाजार में इसकी बढ़ती पैठ का संकेत मिलता है। रिपोर्ट के नतीजे कुल मिलाकर पूरी म्यूजिक इंडस्ट्री के साथ-साथ खास तौर पर लेखकों/संगीतकारों तथा म्यूजिक पब्लिशर्स के लिए एक शानदार खबर थी। वर्ष 2019 से 2022 दौरान डिजिटल राजस्व में 532.7% की भारी बढ़ोतरी हुई, जो भारत की म्यूजिक इंडस्ट्री के क्षेत्र में लगातार हो रहे विकास को दर्शाता है।
सरकार ने भी क्रिएटर्स के अधिकारों के साथ-साथ इस इंडस्ट्री में IPRS की मौजूदगी को मजबूत करने में बेहद अहम भूमिका निभाई है। हम इस सहयोग के लिए आभारी हैं, साथ ही हम प्राधिकरणों से आशा करते हैं कि वे म्यूजिक लाइसेंसिंग के मानदंडों को अच्छी तरह से लागू करेंगे ताकि इसका अनुपालन बेहतर ढंग से हो सके।
इसके अलावा, IPRS ने पड़ोसी देशों में भी इसी तरह की कलेक्शन सोसाइटी के विकास को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी संभाली है। इसके तहत नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में सहयोगी कलेक्शन सोसाइटी को सहायता प्रदान करने के साथ-साथ उनका प्रचार-प्रसार किया जाता है, ताकि स्थापना के शुरुआती दौर में उन्हें आवश्यक ध्यान मिले।
इस मौके पर IPRS के अध्यक्ष, श्री जावेद अख़्तर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “IPRS म्यूजिक कॉपीराइट सोसायटी होने के नाते भारत में म्यूजिक क्रिएटर्स और पब्लिशर्स समुदाय के अधिकारों के सबसे मजबूत समर्थकों में से एक रहा है। यह नियमों का पालन नहीं किए जाने की बाधाओं, और म्यूजिक यूजर्स द्वारा म्यूजिक के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस लेने की अनिच्छा के खिलाफ संघर्ष करते हुए हमेशा अपने सदस्यों के क्रेडिट और रॉयल्टी के लिए खड़ा रहा है। IPRS ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कलेक्शन के मामले में चौथी सबसे बड़ी सोसायटी का शानदार परिणाम हासिल करने में सफलता पाई है, जो हमारे लिए सचमुच बड़े गौरव की बात है। इस उपलब्धि के पीछे की कड़ी मेहनत और हमारी टीम के सदस्यों के अटल इरादे की कहानी का खास तौर पर ज़िक्र करना बेहद जरूरी है। म्यूजिक स्ट्रीमिंग के इस दौर में संगीत के उपयोग में एक बड़ा बदलाव आया है और इसी वजह से IPRS जैसी कलेक्शन सोसायटी की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, जिन्हें लगातार उभरते राजस्व मॉडलों की धारा में लगातार आगे बढ़ना चाहिए और उसे अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए।  
महामारी के संकट को पीछे छोड़ते हुए, IPRS में हम खुद को और भारत की बड़ी म्यूजिक कम्युनिटी को उन अवसरों और चुनौतियों से अवगत होने के लिए तैयार कर रहे हैं, जो एआई (AI) की वजह से डिजिटल युग में नए म्यूजिक इकोसिस्टम के साथ सामने आने वाली हैं।” 
CISAC के अध्यक्ष, ब्योर्न उलवायस ने क्रिएटर्स के कलेक्शन पर भविष्य में एआई के प्रभाव के बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए कहा, “इस साल के नतीजे बताते हैं कि, डिजिटल को अपनाने में तमाम बड़ी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद सामूहिक प्रबंधन प्रणाली अभी भी मजबूत और कारगर है। CMO के पास उन क्रिएटर्स का समर्थन होता है जिनकी वे सेवा करते हैं और अब वे पहले से कहीं अधिक क्रिएटर्स को ज्यादा पैसा दे रहे हैं। कोविड और आर्थिक तंगी के दबाव से उबरने के बाद, अब हम एक और गंभीर, अस्तित्व संबंधी चुनौती का सामना कर रहे हैं– जिसका नाम है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। एआई क्रिएटर्स और क्रिएटिव इंडस्ट्री को पूरी तरह से बदल देगा। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ-साथ क्रिएटिव इंडस्ट्री के सभी हिस्सों की एकजुटता बेहद जरूरी है।” 
CISAC की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए, द इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) के सीईओ, श्री राकेश निगम ने कहा, “CISAC ग्लोबल कलेक्शन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, IPRS ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में राजस्व के मामले में चौथी सबसे बड़ी सोसायटी के रूप में शानदार उपलब्धि हासिल की है, जो हमारे लिए बड़े गर्व की बात है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने क्रिएटर्स के रॉयल्टी अधिकारों की हिफाजत के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। इस शानदार प्रगति, खास तौर पर डिजिटल डोमेन में प्रगति से यह पता चलता है कि म्यूजिक का क्षेत्र लगातार विकसित हो रहा है। प्रमुख मीडिया संस्थाओं के साथ लाइसेंसिंग समझौतों और सार्वजनिक तौर पर आयोजित म्यूजिक परफॉर्मेंस ने आय में शानदार बढ़ोतरी में योगदान दिया है। अनुपालन से जुड़ी चुनौतियाँ अभी भी गंभीर चिंता का विषय बनी हुई हैं। संगीत के बदलते परिवेश में चुनौतियों और अवसरों की भरमार है, और इन परिस्थितियों में हम अपने क्रिएटर्स के लिए बेहतर माहौल को बढ़ावा देना के साथ-साथ दुनिया के संगीत मंच पर भारत की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लगातार कोशिश करने के अपने इरादे पर अटल हैं।”

Related Articles