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भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल के छठवें संस्करण का हुआ भव्य शुभारंभ, ऊषा उथुप ने पॉप म्यूजिक से बांधा समां
– मन्त्रमुग्ध एकल सितार वादन से शुरू हुआ पहला दिन
-भोपाल के सबसे बड़े लिटरेचर फेस्टिवल ‘भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल’ का दमदार आगाज
भोपाल | झीलों की नगरी भोपाल के प्रसिद्ध तीन दिवसीय ‘भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल’ के छठवें संस्करण का शुभारंभ भारत भवन में शुक्रवार को बड़ी भव्यता के साथ हुआ। इसका उद्घाटन सुबह वरिष्ठ सितार वादिका स्मिता नागदेव जी के मंत्रमुग्ध एकल सितार वादन से हुआ तो वहीं शाम में ‘इंडियन पॉप क्वीन’ उषा उथुप की शानदार प्रस्तुतियों के साथ पहला दिन समाप्त हुआ। भोपाल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल का शुभारंभ जर्मनी से आईं डॉ सारा केलर, डॉ सुसेन राव, प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग शिव शेखर शुक्ला, एसबीआई के पूर्व अध्यक्ष रजनीश कुमार ने किया।
कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर सोसायटी ऑफ कल्चर एंड एनवायरमेंट के अध्यक्ष और फाउंडर मेंबर राघव चंद्रा ने कहा कि फेस्टिवल में सिर्फ एक ही तरह के साहित्य पर चर्चा नहीं होती है, बल्कि यहां शास्वत और सनातन की बात पर भी फोकस किया जाता है। यहां आने वाले साहित्यकार चिंतन, मनन के बाद ही आप तक अपने विचार रखते हैं। साहित्य सम्मेलन न सिर्फ हमें सिखाते हैं, बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा को मजबूत करते हैं। वहीं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने स्वामी विवेकानंद जयंती अवसर पर शुरू हुए इस फेस्टिवल को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि विवेकानंद जी वह व्यक्ति थे, जिन्होंने हमारी भारतीय साहित्य और संस्कृति को विश्व स्तर पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वहीं, शाम होते ही बड़ी झील किनारे भारत भवन के बहिरंग में पॉप म्यूजिक गूंज उठा। इस दौरान पॉप सिंगर उषा उत्थुप ने जबरदस्त गीतों की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति की शुरुआत उषा ने जेम्स बॉन्ड के गीत लेट्स स्काय फॉल…से की। I इसके बाद उन्होंने अपनी सांगीतिक यात्रा पर संगीत प्रेमियों से चर्चा करते हुए प्रस्तुति के क्रम को आगे बढ़ाते हुए स्टेंड बाय मी… गीत सुनाया। इसके बाद उषा ने आई जस्ट काल…, वॉव….सहित एक से बढ़कर एक पॉप गीतों की प्रस्तुति दी। इस दौरान मंच के सामने बैठे सैकड़ों लोगों ने दोनो हाथ हवा में लहराकर प्रस्तुति को एंजॉय किया। प्रसूति के क्रम को आगे बढ़ाते हुए उषा ने हिंदी गीत बुलैया बुलैया… और दम मारो दम… और हरे राम हरे कृष्ण… गाना सुनाकर समां बांध दिया।
पुस्तकों के विमोचन के साथ एकल चित्र प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ
बीएलएफ के उद्घाटन समारोह अनंत मराठिया की पुस्तक ‘डिफॉल्टर्स पैराडाइज ऑफ लॉ’ और ब्रजेश राजपूत द्वारा लिखित पुस्तक ‘द एवरेस्ट गर्ल’ तथा जर्मनी की सारा केलर की पुस्तक ‘जेनेसेस ऑफ इंडियन सिटी’ का भी विमोचन किया गया। इसके साथ ही रंगदर्शनी दीर्घा में वरिष्ठ कलाकार ऋतु झुनझुनवाला की एकल चित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। इन चित्रों में ऋतु ने अपने मन के भावों को बड़ी ही खूबसूरती के साथ केनवास पर उकेरा।
दिनभर विभिन्न विषयों पर अलग-अलग सभागार में चले सेशन
भारत का ‘अंधा युग’ था कॉलोनाइजेशन का समय : कुमार
देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में चार दशक की सेवा देने वाले रजनीश कुमार की पुस्तक ‘बैंकर और कस्टडियन ऑफ ट्रष्ट’ पर डॉ. रमेश शिवगुंडे और डॉ. राजन कटोच ने उनके साथ चर्चा की। श्री कुमार ने कोरोना काल में भी स्टेट बैंक का आधार मजबूत बनाये रखने में संस्थान के बड़े ढाँचें की सराहना की। व्यक्तिगत जीवन एवं पुस्तक में आये मंगल पांडे की बात का जिक्र करते हुए श्री कुमार ने बताया कि भारत को लूटने में अंग्रेजों का सबसे बड़ा हाथ रहा है, उन्होनें कहा अंग्रेज हमारी धन-संपदा को भारत से बाहर ले गए।
विक्रमादित्य विजेता नहीं संस्कृति का गौरव हैं : पुरोहित
‘सम्राट विक्रमादित्य लाइफ एंड टाइम्स’ पर आयोजित सत्र में डॉ राज पुरोहित और आरसी ठाकुर ने विक्रमादित्य के जीवन पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान डॉ पुरोहित ने कहा कि विक्रमादित्य ने विक्रम संवत आरंभ किया, शको को पराजित किया। विक्रमादित्य भारतीय अस्मिता प्रतीक हैं, वह सिर्फ विजेता नहीं बल्कि हमारी संस्कृति के गौरव हैं। उन्होंने विक्रम संवत को बड़ी भारतीय उपलब्धि बताया।
सटीक लोगों तक पहुंचाने में मदद करती है सोशल मीडिया
इनफ्लूएंसर्स पर केंद्रित सत्र में अविनाश लवानिया ने कहा की सोशल मीडिया लोगों से जुड़ा प्लैटफॉर्म है। जब कोई इस पर विषय को उठाता है तो उसका असर पड़ता है। एआई और डीप लर्निंग सोशल मीडिया पर विषय को उठाने में सटीक मदद करती है। आनंद शर्मा ने इस सत्र में भोपाल पर लिखा एक गीत ‘ये शहर है कितना बेमिसाल, इसका नाम है भोपाल’ से सत्र शुरू किया। वहीं हिमांशु शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया पर रीच बढ़ानी है तो आपको अपना विषय चुनना होगा।
इंदौर मास्टरप्लैन में पैट्रिक गेडेज़ का योगदान
वरिष्ठ पत्रकार अभिलाश खांडेकर के साथ सविता राजे ने पैट्रिक गेडेज़ द्वारा लिखी गई पुस्तक “टाउन प्लानिंग एंड एंवीरोंमेंटेलिज़्म” पर चर्चा की। पुस्तक के प्रजेंटेशन के साथ वर्तमान में जलवायु परिवर्तन को देखते हुए किताब की पृष्ठभूमि पर परिचर्चा की गई। इस दौरान बताया गया कि लेखक पैट्रिक गेडेज़ ने कई ऐतेहासिक भारतीय शहरों को एक नया स्वरूप दिया, इनमें से ‘इंदौर’ भी एक है। साथ ही उन्होंने 90 के दशक में भारत की प्रमुख नदियों को साफ रखने पर ज़ोर दिया।
जगमोहन से जगजीत बनने का किस्सा बड़ा ही रोचक*
मेरे पास जगजीत जी की 100 कहानियां है, वर्तुल सिंह से बातचीत के दौरान सत्या सरन ने बताया कि उनके परिवार जनों ने जगजीत का नाम जगमोहन रखा था। बाबा कहते थे की इनका नाम जगजीत कर दो, क्योंकि ये एक दिन जग जीत लेंगे। उस दौर में गीत गाने वाले रफी और हेमंत कुमार जैसे कई गायक थे जिनके बीच जगह बनाना बेहद मुश्किल था। इसलिए उन्होंने गजल गाना शुरू किया। इस सेशन में जगजीत सिंह के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
एहसासों को कविताओं में ढालने का प्रयास है ‘भीगी लकीरें’ : झुनझुनवाला
रीता झुनझुनवाला द्वारा लिखित उनके कविता संग्रह ‘भीगी लकीरें’ पर डॉ मीरा दास, मनिंदर कालरा ने चर्चा की। इस दौरान प्रतिदिन होने वाले अहसासों को कविताओं के रूप में ढालने की बात करते हुए झुनझुनवाला ने अपने संग्रह में ‘पंचतत्व’ को प्राथमिकता देने की बात पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें पेंटिग का शौक बचपन से ही है, जब उन्होंने इस पर कार्य करना शुरू किया तो परिजनों व आसपास के लोगों ने भी खूब सहयोग किया। इस दौरान रीता झुनझुनवाला ने अपनी मशहूर कविता ‘एहसासों का पोथा सांसों पर भारी पड़ गया..’ को भी पढ़ा।
*’जब तक चडूंगी नहीं, तब तक छोडूंगी नहीं’ एवरेस्ट गर्ल*
पत्रकार ब्रजेश राजपूत द्वारा पर्वतारोही पर लिखी पुस्तक ‘द एवरेस्ट गर्ल’ पर दोनों का संवाद हुआ। इस दौरान छोटे से गाँव से एवरेस्ट चढ़ने तक के सफर में आई तमाम अड़चनों और मेघा के साहस की लेखनी पर प्रकाश डालते हुए लेखक ने कई किस्से सुनाए जो प्रेरणादायक हैं। लेखक श्री राजपूत कहते हैं कि मेघा की कहानी राजकुमार हिरानी की फिल्मों जैसी उतार-चढ़ाव से भरी है। चाहे बात रीढ़ की हड्डी टूटने की हो या फिर उधार की सांसों बात हो मेघा ने सभी जगहों पर अथाह साहस दिखाया। पुस्तक में मेघा के ज़िद्दीपन, दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति का परिचय देती है। अपनी बातचीत में मेघा ने एवरेस्ट चढ़ते हुए तमाम उन बातों को उजागर किया जिसके बारे में आम लोग नहीं जानते। एक पर्वतारोही की ज़ुबानी ये कहानी आपके अंदर भी आत्मविश्वास की लौ जलाने में सक्षम है। लेखक की कलम मेघा के हाथों से होती हुई किताब के पन्नों पर उतरी है।