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राजधानी के जिनालयों में होंगे पाषण से भगवान बनने के महानुष्ठान

आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के शिष्यों के सानिध्य में बहेगी धर्म की गंगा


 भोपाल । राजधानी के जैन मंदिरों में जैन संतों के समागम के साथ धर्म की गंगा बह रही है, शहर के मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ संतों के आशीषवचन हो रहे हैं। श्री 1008 पंचबालयति दिगम्बर जैन मंदिर नीलबड़ भोपाल में आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज के शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर महाराज, मुनिश्री आराध्य सागर महाराज, मुनिश्री प्रणत सागर महाराज, मुनिश्री सुहित सागर महाराज के सानिध्य में 21 से 26 जनवरी तक श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। महोत्सव समिति के अध्यक्ष राजेश भारिल्ल एवं मुख्य संयोजक राकेश ‘अनुपम’, महामंत्री प्रवेन्द्र सिंघई बनाये गये हैं। श्री भारिल्ल की अध्यक्षता में शहर के विभिन्न मंदिर समिति के पदाधिकारियों का समावेश कर आयोजन समिति गठित की गई है। अध्यक्ष राजेश भारिल्ल ने बताया कि यह आयोजन लालसिंह ग्राउण्ड डी-सेक्टर नेहरू नगर में होने जा रहा है। समिति द्वारा तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं। अनुष्ठान की शुरूआत रविवार 21 जनवरी को ध्वजारोहण घट यात्रा के साथ होगी। भगवान के पांच कल्याणक क्रमशः गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, तप कल्याणक, ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं होंगी। प्रमुख पात्रों का चयन कर लिया गया है। पंचकल्याणक महोत्सव में 11 जिनप्रतिमाएं प्रतिष्ठित होंगी जिसमें 5 प्रतिमाएं पाषाण की और 6 प्रतिमाएं अष्ट धातु की होंगी। मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा लगभग 65 इंच की होगी। प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि वही दूसरी ओर शिवनगर जैन मंदिर में पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन 15 से 20 जनवरी तक होने जा रहा है। मुनि श्री संस्कार सागर महाराज, मुनिश्री विश्व सूर्य सागर महाराज के सानिध्य में पाषाण से भगवान बनने की क्रियाएं होंगी। आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु होंगे श्री हिमांशु की अध्यक्षता में शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्यों का समावेश कर आयोजन समिति गठित की गई है। अनुष्ठान प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी सुमत भैया के निर्देशन एवं ब्रह्मचारी शोभित भैया मडावरा के प्रतिष्टाचारियत्व एवं मार्गदर्शन में होगी। अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु ने बताया कि 15 जनवरी को पात्र शुद्धि, ध्वजारोहण, शोभा यात्रा के साथ अनुष्ठान प्रारंभ होगा। अनुष्ठान में भगवान जिनेन्द्र की 51 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित होंगी जो जयपुर राजस्थान से आयी है। 
 

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