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मुस्कान कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षण संपन्न

शिशु रोग इकाइयों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के प्रोटोकॉल की दी जानकारी 

भोपाल । जिले की शिशु स्वास्थ्य संस्थाओं में , शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता के मूल्यांकन एवं सुधार हेतु मुस्कान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया । गांधी मेडिकल कॉलेज में आयोजित प्रशिक्षण में सिविल सर्जन, आरएमओ , मेडिकल सुपरीटेंडेंट, शिशु रोग विशेषज्ञ, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर सहित जिला चिकित्सालय जयप्रकाश , सिविल अस्पताल डॉ कैलाशनाथ काटजू महिला चिकित्सालय, सिविल अस्पताल बैरागढ़, सिविल अस्पताल बैरसिया, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोलार, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गांधीनगर के चिकित्सक, नर्सिंग ऑफिसर ,फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर सम्मिलित हुए ।
 प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ सलील भार्गव ने कहा कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं में शिशु स्वास्थ्य की सेवाएं शासन की प्राथमिकता है । शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की प्रदायगी निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार दिया जाना जरूरी है । सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता उपचार के दौरान चेकलिस्ट को अनिवार्य रूप से फॉलो करें। 
प्रशिक्षण में मुस्कान मूल्यांकन के प्रोटोकॉल , क्वालिटी टूल्स एंड प्रोसेस मेपिंग, इंप्रूवमेंट साइकिल एनालिसिस, फैमिली पार्टिसिपेट्री केयर, कंगारू मदर केयर , पीडियाट्रिक वार्ड एवं ओपीडी चेकलिस्ट, एनआरसी चेकलिस्ट, एनबीएसयू, एनआरसी के मूल्यांकन की चेकलिस्ट, परफॉर्मेंस इंडिकेटर, रिकॉर्ड कीपिंग, मुस्कान आउटकम इंडिकेटर की जानकारी दी गई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि मुस्कान कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 12 साल से कम उम्र के बच्चों में बीमारियों और मृत्यु को कम करना है। मुस्कान के नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड एंड एसेसमेंट टूल में जिला चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग, शिशु रोग वार्ड, नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई एवं पोषण पुनर्वास केंद्रों को शामिल किया गया है। सिविल अस्पतालों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में शिशु रोग ओपीडी एवं न्यूबॉर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट को सम्मिलित किया गया है ।  
कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य संस्थाओं की शिशु रोग इकाइयों में उपचार एवं देखभाल की गुणवत्ता का मूल्यांकन नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड के अनुरूप किया जाना है। मुस्कान कार्यक्रम में मुख्य रूप से सर्विस प्रोविजन, मरीज के अधिकार, इनपुट, सपोर्ट सर्विस, क्लीनिकल केयर, इनफेक्शन कंट्रोल, क्वालिटी इंप्रूवमेंट एवं आउटकम जैसे आठ इंडिकेटर को शामिल किया गया है।
 डॉ तिवारी ने बताया कि बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए संस्थागत एवं सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न इकाईयां एवं कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं । जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम ,नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई , पोषण पुनर्वास केंद्र , आईवायसीएफ, मां कार्यक्रम, एनीमिया मुक्त भारत अभियान, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, सांस अभियान, गृह आधारित शिशु देखभाल, दस्तक अभियान, दस्त नियंत्रण पखवाड़ा, कृमि मुक्ति , टीकाकरण जैसे कार्यक्रमों से शिशु स्वास्थ्य की गुणवत्तापूर्ण सेवाएं दी जा रही है।
प्रशिक्षण को गांधी मेडिकल कॉलेज के रिसर्च ऑफिसर डॉ अतुल श्रीवास्तव, डॉ विनीता मेवाड़ा , डॉ स्मिता सक्सेना , डॉ रितेश तंवर ने संबोधित किया। जिसमें साक्ष्य आधारित चिकित्सा, स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकोल के पालन, शिशु मैत्रीपूर्ण वातावरण का निर्माण , फैमिली पार्टिसिपेट्री केयर, कंगारू मदर केयर रेफरल एवं फॉलोअप सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की जानकारी दी गई।

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