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RBSK के तहत AIIMS में जन्मजात विकारों की शीघ्र पहचान के लिए प्रशिक्षण

भोपाल ।  राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत शिशुओं में जन्मजात विकारों की शीघ्र पहचान हेतु प्रशिक्षण का आयोजन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुआ।  

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण में जिले की विभिन्न प्रसव केंद्रों में पदस्थ चिकित्सा अधिकारियों,नर्सिंग ऑफिसर, RBSK दल के सदस्यों व एएनएम को जन्मजात दोषों की पहचान एवं प्रबंधन के बारे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि प्रशिक्षण में जिले के प्रसव केंद्रों के चिकित्सकों नर्सिंग ऑफिसर, एनबीएसयू में कार्य कर रहे चिकित्सकों, नर्सिंग ऑफिसर एवं एएनएम को शामिल किया गया है। प्रसव पश्चात नवजात की सर्वप्रथम जांच एवं देखभाल इन्हीं के द्वारा की जाती है । डॉ तिवारी ने कहा कि आर बी एस के दलों एवं जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र के निरंतर प्रयासों से भोपाल जिले को क्लेक्ट लिप, क्लेफ्ट पेलेट एवं क्लब फुट मुक्त किया जा चुका है । भोपाल में जन्मजात विकृतियों के 17 सौ से अधिक बच्चों को निशुल्क उपचारित किया जा चुका है। इसमें क्लब फुट, क्लेक्ट लिप – क्लेफ्ट पेलेट, मोतियाबिंद के हार्ट सर्जरी , कॉक्लियर इंप्लांट बीमारियां शामिल हैं।
एम्स के शिशु रोग विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ शिखा मालिक ने बर्थ डिफेक्ट के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अधिकांश जन्मजात विकारों को चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मचारी सामान्य तकनीकी कौशलों से पहचान सकते हैं । 
डॉ पीयूष पंचरत्न ने नवजातों में नेत्र एवं कानों से संबंधित विकारों बारे में जानकारी दी । डॉ भावना ढींगरा ने बताया कि माता-पिता बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हैं। ऐसे में बर्थ डिफेक्ट के साथ जन्में बच्चों के परिजनों की काउंसलिंग बेहद जरूरी है। डॉ शर्मिला रामटेके ने क्लेफ्ट लिप एवं क्लेफ्ट पेलेट के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने क्लेफ्ट लिप एवं क्लेफ्ट पेलेट के बच्चों को स्तनपान कराने के तरीके समझाएं । 
प्रशिक्षण में बताया गया कि कुछ जन्मजात विकारों की पहचान के लिए लक्षणों की सही पहचान ज़रूरी है। ए एस डी या एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट दिल से जुड़ा जन्मजात दोष है। जिसमें हृदय के उभरी कक्षा (एट्रीया) को विभाजित करने वाली दीवार (सेप्टम ) में एक छेद होता है। यह छेद आकार में भिन्न हो सकता है। बीमारी के कारण सांस की तकलीफ, दिल की धड़कन तेज होना, थकान, पैरों या पेट में सूजन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं । चिकित्सकीय परीक्षण के बाद एएचडी को सर्जरी से बंद किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि AIIMS भोपाल राज्य सरकार के सहयोग से Inborn errors of Metabolism की स्क्रीनिंग व प्रबंधन के क्षेत्र में भी कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त यहाँ Cochlear Transplant एवं Pediatric Cardiac Surgery की सुविधाएँ भी उपलब्ध हो गई हैं। संस्थान के अध्यक्ष डॉ सुनील मलिक व निर्देशक डॉ अजय सिंह यहाँ अधिकाधिक सुविधाएँ उपलब्ध करानें हेतु प्रयासरत हैं।
AIIMS व राज्य शासन की चिकित्सा संस्थान मिल कर हितग्राहियों को त्वरित व गुणवत्ता पूर्ण सुविधाएँ उपलब्ध कटानें हेतु प्रतिबद्ध हैं।

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