Uncategorized

व्यापमं मामले में दो आरोपियों को 4 वर्ष की सजा

ग्वालियर । सीबीआई, व्यापमं मामले, ग्वालियर के विशेष न्यायाधीश ने व्यापमं (मध्य प्रदेश) द्वारा आयोजित प्री-पीजी परीक्षा 2009 में  आशुतोष गुप्ता (आरोपी उम्मीदवार) एवं पंकज गुप्ता उर्फ चिम्मन (आरोपी मध्यस्थ व्यक्ति) को आज 4 वर्ष की कठोर कारावास और प्रत्येक पर 13,100/- रु. के जुर्माने की सजा सुनाई।  

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने न्यायालय के आदेश के अनुपालन में आशुतोष गुप्ता, पंकज गुप्ता उर्फ चिम्मन और अन्यों के विरुद्ध एमपी पुलिस (पुलिस स्टेशन झांसी रोड, ग्वालियर) द्वारा दर्ज प्राथमिकी संख्या 97/15, दिनांक 21 मार्च 2015 को अपने हाथों में लेकर  13 अगस्त 2015 को तत्काल मामला दर्ज किया। यह आरोप था कि आशुतोष गुप्ता ने श्री पंकज गुप्ता के माध्यम से प्री पीजी-परीक्षा 2009 के लिए 15 लाख रु. (लगभग) के बदले में एक सॉल्वर की व्यवस्था की थी। स्थानीय पुलिस ने 2 आरोप पत्र/पूरक आरोप पत्र दायर किए थे।
सीबीआई जांच के दौरान, आरोपी व्यक्तियों की लिखावट/हस्ताक्षर पर सीएफएसएल से राय ली गई। सीएफएसएल विशेषज्ञ की राय ने यह स्थापित किया कि आरोपी उम्मीदवार आशुतोष गुप्ता  12 अप्रैल 2009 को जबलपुर, मध्य प्रदेश में व्यापमं द्वारा आयोजित उक्त परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे। सीबीआई जांच के दौरान यह भी पाया गया कि आरोपी आशुतोष गुप्ता शनिवार व सोमवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करियावटी, ग्वालियर में चिकित्सा अधिकारी के रूप में ड्यूटी पर थे परीक्षा रविवार 12 अप्रैल 2009 को थी और उन्होंने उक्त परीक्षा में शामिल होने के लिए जबलपुर जाने हेतु कोई अनुमति/स्टेशन छुट्टी की अनुमति नही ली थी। आगे, जांच से पता चला कि उम्मीदवार गुप्ता ने मध्यस्थ व्यक्ति पंकज गुप्ता से संपर्क किया था, जिसने आशुतोष गुप्ता के लिए उक्त प्री-पीजी 2009 परीक्षा में 15 लाख रु. (लगभग) के बदले में सॉल्वर की व्यवस्था की थी तथा गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने के बाद आशुतोष गुप्ता ने श्री पंकज गुप्ता को उसका का भुगतान किया।
जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने अपनी जांच के दौरान एकत्र किए गए अतिरिक्त सबूतों के साथ आरोपियों के विरुद्ध 5 जनवरी 2018 को एक पूरक आरोप पत्र दायर किया। विचारण अदालत ने आरोपियों को कसूरवार पाया और उन्हें तदनुसार सजा सुनाई।
                

Related Articles