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उमेश पाल हत्याकांड : SIT ने किया नेटवर्क का खुलासा, असरफ की नोटों के आगे सब झुके

संतरी से लेकर अफसर तक अशरफ के इशारे पर नाचे

बरेली । प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद जब अमर उजाला ने जेल में अवैध तरीके से हो रही मुलाकातों का जिक्र खबरों में किया तो जिम्मेदार इसे मानने को तैयार नहीं थे। बाद में सर्विलांस और दूसरी जांच में एसआईटी ने जेल में चल रहे गड़बड़झाले की परतें खोलीं।
बरेली जिला जेल में बंद होने के बावजूद अशरफ पूरी सल्तनत चला रहा था। संतरी से लेकर जेल के बड़े अफसर तक उसके इशारे पर नाचते थे। इसके बदले उन्हें इनाम दिया जाता था।
माफिया अतीक के गुजरात की साबरमती जेल में होने की वजह से प्रयागराज में रंगदारी व प्रॉपर्टी के मामलों की देखरेख में गुर्गों को अड़चन आ रही थी। बरेली जेल में बंद अतीक अहमद का भाई पूर्व विधायक अशरफ यहीं से पूरा नेटवर्क चला रहा था। तीन साल पहले अशरफ जब जेल में आया था, तभी से उसके गुर्गों ने पानी की तरह पैसा बहाना शुरू कर दिया था। माफिया के खौफ और मामूली कामों के बदले नोटों की गड्डियों ने जेल में नीचे से ऊपर तक ज्यादातर जिम्मेदारों को बेईमान बना दिया।
जेल में अवैध तरीके से हो रही मुलाकातों को तो जिम्मेदार मानने को तैयार नहीं थे। बाद में सर्विलांस और दूसरी जांच में एसआईटी ने जेल में चल रहे गड़बड़झाले की परतें खोलीं। अब निलंबन और गिरफ्तारियों से यह साबित हो गया है कि जेल में अशरफ को सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही थीं। उससे मिलने आने वाले लोगों को भी वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाता था। इसमें बंदी रक्षक से लेकर उच्चाधिकारी तक शामिल थे और एक-दूसरे के हमराज थे।
निलंबित जेल कर्मियों पर ये हैं आरोप
शिवहरि अवस्थी: जेल वार्डर शिवहरि पर आरोप है कि वह अशरफ के गुर्गों से उसकी अलग मुलाकात कराता था। शिवहरि को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। अब उसके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है।
मनोज गौड़: यहां तैनात जेल वार्डर मनोज का एक महीने पहले ही पीलीभीत जेल में तबादला हो गया था। उस पर आरोप है कि उसने नियमों को ताक पर रखकर गुर्गों की अशरफ से मुलाकात कराई थी। सोमवार को एसआईटी ने मनोज को गिरफ्तार कर लिया। उसके ट्रांसफर को लेकर भी जांच की जा रही है।
ब्रजवीर सिंह : हेड जेल वार्डर ब्रजवीर पर आरोप है कि उसने हाथ पर मुहर लगाने में लापरवाही बरती। हाल ही में ब्रजवीर सिंह का प्रमोशन हुआ था, लेकिन मुहर लगाने के लिए अक्सर उसके द्वारा वसूली की जाती थी। नियमों के विरुद्ध मुलाकातियों के हाथ पर मुहर लगाकर उन्हें अंदर भेज दिया जाता था।
दानिश मेंहदी: जेल वार्डर दानिश पर आरोप है कि उसने भी मुहर लगाने में लापरवाही बरती। हालांकि मुहर लगाने के काम में उसको हाल ही में लगाया गया था। पहले वह बंदियों के थैले जमा कराता था।
दलपत सिंह : जेल वार्डर दलपत गेटकीपर की ड्यूटी पर था। आरोप है कि उसने मुलाकातियों को अनधिकृत रूप से जेल के अंदर दाखिल होने दिया।

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