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21वीं पशुधन गणना में चरवाहों और उनके पशुधन की गिनती’ पर कार्यशाला आयोजित

इंदौर । मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग ने ’21वीं पशुधन गणना में चरवाहों और उनके पशुधन की गिनती पर एक कार्यशाला का आयोजन आज मध्य प्रदेश के इंदौर में किया। इस कार्यशाला का आयोजन पशुचारण, उनके आवास, विभिन्न क्षेत्रों में मार्ग आदि पर विचार करने और चरवाहों की सार्वभौमिक परिभाषा, एकत्र किए जाने वाले डेटा और डेटा एकत्र करने की पद्धति जैसे विभिन्न मुद्दों पर आम सहमति तक पहुंचने के लिए किया गया।
गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर जैसे चरवाहों वाले राज्यों में, चरवाहों से संबंध रखने वाले गैर सरकारी संगठन जैसे, सहजीवन: पशुचारण केंद्र, रेगिस्तान संसाधन केंद्र आदि और चरवाहों से संबंधित विभिन्न सरकारी संगठन जैसे, खानाबदोशों और अर्ध-घुमंतू जनजातियों के लिए विकास और कल्याण बोर्ड, राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण (एनआरएए), मध्य प्रदेश सरकार के जनजातीय अनुसंधान संस्थान आदि कार्यशाला में भाग ले रहे थे।
 पशुपालन और डेयरी विभाग 1919 से हर 5 साल में देश भर में पशुधन जनगणना करता है। आखिरी पशुधन जनगणना यानी 20वीं एलसी 2019 में आयोजित की गई थी। 21वीं पशुधन जनगणना 2024 में होनी है। इस 21वीं पशुधन जनगणना में पशुपालक और उनके पशुधन पर जानकारी एकत्र करने की मांग है ।
पशुधन गणना, पशुधन कल्याण कार्यक्रम की उचित योजना और निर्माण और इस क्षेत्र में और सुधार लाने के लिए के लिए डेटा का मुख्य स्रोत है। पशुधन जनगणना में आम तौर पर सभी पालतू पशुओं के सिर की गणना को उनकी उम्र, लिंग तथा नस्ल के अनुसार किसी स्थान पर घरों, घरेलू उद्यमों/गैर-घरेलू उद्यमों के पास मौजूद जानवरों की विभिन्न प्रजातियों (मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, ऊंट, कुत्ता, खरगोश और हाथी) पोल्ट्री पक्षी (मुर्गी, बत्तख और अन्य पोल्ट्री पक्षी) आदि की गणना शामिल है।

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